Friday, September 21, 2018

ज़िन्दगी मेरी TEACHER : सोच और डर



        हेलो दोस्तो! मैं आपका दोस्त निष्कर्ष सिद्धार्थ!कैसे आप सभी ? बेशक अच्छे ही होंगे! तो दोस्तो हमारे पिछले ब्लॉग में हमने जाना के ज़िन्दगी हमे किस तरह अनुशाशन और समर्पण सीखना चाहति है और अगर हम इस चीज़ को ना समझ पाए तो किस तरह ये हमे सबक सिखाती है, और एक दिन सही रास्ते पर लाकर खड़ा कर देती है। मैं आशा करता हु आप समझ ही चुके होंगे की अनुशासन और समर्पण कितना ज़रूरी होता है जिंदगी में। तो चलिये हम आगे बढ़ते है।
         दोस्तो अब हम देखेंगे की ज़िन्दगी में 'सोच' और 'डर' का कितना महत्व होता है और ज़िन्दगी हमे इन दोनों शब्दो को लेकर क्या सीखना चाहती है। हम सब ने देखा है इस दुनिया में सभी कुछ न कुछ बड़ा हासिल करना चाहतें है, जो की काफी अच्छी बात है, लेकिन क्या हम इस बड़ी चीज़ को हासिल करने के लिए सही रास्ता चुनते है ? मैं जनता हु आपमे से अधिकतर लोग सोचते है की 'हाँ' हम सब सही रास्ता चुनते है और मेहनत भी करते है और आपका जवाब भी होगा "हाँ", लेकिन क्या उस सवाल के बाद अगर मैं सवाल पुछू की क्या आप सभी उस बड़ी चीज़ को हासिल कर लेते है जो आप चाहते हो? तो आपमे से अधिकतर लोगों का जवाब होगा "नही" ! तो फिर इसका क्या कारण हो सकता है, ज़रा इसपर गौर करते है - हम अक्सर जब अपनी ज़िन्दगी में  जब बड़ा बनने का रास्ता ढूंढते है तो हमे तलाश होती है ऐसे रास्ते की जो हमे हमारी मंज़िल तक ले जा सके, और इस तलाश में हम एक ऐसा रास्ता चुन लेते है जिसपे सारि दुनिया चलती है 'डर' का रास्ता, ख़ुदको सुरक्षित रखने का रास्ता, जैसा दुनिया सोच रही है वैसा सोचने का रास्ता ताकि हमे हार का सामना न करना पड़े और उसके बाद ज़िन्दगी के आखरी मोड़ पर हम सिर्फ एक आम आदमी बनकर रह जाते है, इसका सबसे बड़ा कारण है की हम हार के डर के साये में अपनी पूरी ज़िन्दगी निकाल देते है और अपनी सोच को उड़ान के पंख नही देते और बड़ा सोचने की कोशिश नही करते, तो ज़रा सोचिये कैसे हम वो बड़ी चीज़ हासिल कर पाएंगे जो हम चाहते है। क्या आप जानते है दुनिया में सिर्फ 1℅ लोग ही है जो कामयाब है जिन्हें दुनिया का सुख मिला है, और 99℅ लोग सिर्फ आम ज़िन्दगी जी रहे है, यह 1% लोगो की क्या सिर्फ किस्मत अच्छी होती है ? नही ! यह सिर्फ इसलिये सुखी है, क्योंकि यह 1% लोग वो सोचते है जो किसीने नही सोचा, ये लोग वो बनाते है जो किसीने नही बनाया, ये खुद से सवाल करते है नाकि दुनिया से इसीलिए ये इतिहास रचते है और बड़ी सफलता हासिल करते है और बाकी 99℅ लोगों को क्या मिलता है एक अधूरी ज़िन्दगी, क्योंकि इनमे कुछ अलग सोचने की ताक़त नही होती।  
         सोच क्या है? ये एक बहोत ही ताक़तवर चीज़ है जो आपको कामयाबी का रास्ता दिखाती है अगर ये सोच बड़ी हो तो, और इसे हम follow भी करते हो तो, लेकिन हमारी इस दुनिया में सोच का जन्म ही गलत तरीके से होता है जो की हमे हमारे माता पिता , शिक्षक और दोस्तो से मिलती है। हमारे माता पिता और हमारे शिक्षक हमे बचपन से ही सिखाते है की बेटा खूब पढ़ाई करो ख़ूब मेहनत करो ताकि तूम्हे एक अच्छी नौकरी मिल सके और तुम अपना पेट पाल सको। मतलब हमे हमारी आजीविका के लिए program किया जाता है, हमारी सोच को छोटा बना दिया जाता है जिसका मतलब ये होता है के हम सिर्फ जितना ज़रूरत हो उतना कमाए और अगर इसका विरोध करते हुए आप यह कह दे की नही मुझे तो बड़ा इंसान बनना है नौकरी नही करनी तो सब आपका मज़ाक बनाते है, और फिर आप एक दिन हारकर दुनिया का सुन लेते हो और वही करते हो जो 99℅ लोग कर रहे है,क्या सोच का डर इतना ताक़तवर होता है ? तो मैं कहूंगा हा । इसके लिए मैं आपको एक मशहूर उदहारण देना चाहूँगा की सोच ईतनी बलवान क्यों है - एक भैसों के तबेले में एक भैस का बच्चा होता है जिसे उसका मालिक एक लकड़ी के खुटे से बांधकर रखता है और उसे वही चारा देता है, भैस का बच्चा रोज़ कोशिश करता है उस खुटे से आज़ाद होने की लेकिन रोज़ असफल हो जाता है क्योंकि उस बच्चे में बल थोड़ा काम होता है और एक दिन ऐसा आता है की वह हिम्मत हार जाता है और सोच लेता है की वह उस खुटे का कुछ नही बिगाड़ सकता और अपने दिमाग में यह program डाल देता है, लेकिन जब वक़्त घुज़रता है और वो भैसे का बच्चा बड़ा हो जाता है और उसमे असीम शक्ति आ जाती है तब भी वह उस खुटे का कुछ नही बिगाड़ पाता और सारि ज़िन्दगी उसी खुटे से बंधा होता है । क्या आप इसका जवाब दे सकते है ऐसा क्यों होता है ? इसका जवाब यह की वो भैसा जब बचपन में अपने दिमाग में सोच लेता है और Program डाल देता है की वह उस खुटे का कुछ नही बिगाड़ सकता और यही program उसे याद दिलाता रहता है की उस खुटे का वो कुछ नही बिगाड़ सकता , जिस वजह से उसके बाद वो कभी कोशिश ही नही करता उससे आज़ाद होने की। ये एक हँसने वाली बात है की इतना ताक़तवर भैसा उस छोटी सी लकड़ी का कुछ नही कर पाता जबकि वो चाहे तो लकड़ी क्या पूरा तबेला हिला सकता है,लेकिन मैं चुनौती देता हूं उस भैसे के मालिक को की वो एक जंगली भैसे को गुलाम बनाकर दिखाए वो ऐसा कर ही नही सकता क्योंकि जंगली भैसा अपनी सोच में आज़ाद होता है उसे कोई गुलाम नही बना सकता। वैसे ही हम भी अपनी ज़िन्दगी में एक खुटे से बंधे होते है और अपनी सोच को बदलते नही, बड़ा नही बनाते। जब तक आप अपने दिमाग का program नही तोड़ोगे और बड़ा नही सोचोगे तो कुछ नही हो सकता इसीलिए सोचो डरो मत, क्योंकि जिस दिन आप डर से आगे निकल कर सोचोगे उस दिन से नए रास्ते खुलेंगे, अपनी काबिलियत को पहचानोगे और फिर इतना कमाओगे की यकीन नही होगा ।
गुलाम भैसा और जंगली भैसा

        डर क्या है? यह एक बहोत ही खोकला शब्द है जो आपको ज़िन्दगी भर बांध के रखता है, लेकिन इसको ताक़तवर भी आप लोग ही बनाते हो इसे अपनाकर, ये आपकी सोच की उड़ान को रोकने का सबसे बड़ा कारण होता है, एक सेमिनार में सुना उधारण देना चाहूंगा - एक बार एक कौवी के घोसले में एक बाज़ का अंडा गिर जाता है और कौवी उसे अपना अंडा समझ के रख भी लेती है वक़्त के साथ उसमे से बच्चे निकलते है जिसमे से एक बच्चा बाज़ का होता है लेकिन कौवी उसे अपना बच्चा समझके पालती है और जब वो बच्चे उड़ना सीखते है तब उसमे से बाज़ का बच्चा थोड़ा ऊपर उड़ता है क्योंकि वो एक बाज़ होता है लेकिन कौवी उस बाज़ के बच्चे को ऊपर उड़ने से मना करती है ये कहकर की बेटा हम इतने ऊपर नही उड़ते इससे गिरने का डर होता है और बाज़ का बच्चा कौवी की बात मानकर ज़िन्दगी भर नीचे ही उड़ता है जबकि उसके पास असीम ताक़त होती ही आसमान को छूने की , ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उसके मन में वो डर बैठ जाता है ।और सही माइनो में हम भी ऐसे ही डर में जीते है और काबिलियत होने के बाद भी ज़िन्दगी भर कुछ बड़ा नही कर पाते। यकीन मानिये दोस्तो हम भी उसी बाज़ के बच्चे है जो आसमान को छूने की ताक़त रखते है और चु भी सकते है, लेकिन कोशिश न करने की वजह से हम भी आसमान नही छु पाते। बस दम रखो अपनी सोच में और डर को खत्म करो और आगे बड़ो, नौकरी पाने के लिए नही बल्कि नौकरी देने के लिए ख़ुदको program करो ।

नीचे उड़ता कौआ और आसमान छूता बाज़

         तूम्हे चुनना है की तुम क्या हो - छोटी सोच वाला शेर जो circus में काम करता है, या बुलंद सोच वाला शेर जो जंगल पर राज करता है ।
सर्कस का शेर और जंगल का राजा शेर


नज़र को बदलो तो नज़ारे बदल जाते है 
सोच को बदलो तो सितारे बदल जाते है 
कश्तियां बदलने की ज़रूरत नही
दिशा बदलो तो किनारे खुद ब खुद बदल जाते है ! 
                                                     
                                                         धन्यावाद........!

 बड़ी सोचकर अपनाकर और अपना डर भागकर सफल बनने वाले वयक्ति :
 1) धीरू भाई अम्बानी
 2) नवाज़ुद्दीन सिद्धिकी
 3) सिकंदर महान      
                  
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