Friday, September 28, 2018

ज़िन्दगी मेरी TEACHER : ज्ञान और लक्ष्य

     
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         हेलो दोस्तो ! कैसे है आप सभी ? मुझे पता है अच्छे ही होंगे। दोस्तों हमने अपने पिछले blogs में जाना अनुशासन और समर्पण के बारे और जाना सोच और डर के बारे में की किस तरह ज़िन्दगी हमे ये चीज़े सिखाती है अगर आपने वो blogs नही पढ़ा है तो please उसपर भी एक बार नज़र डालिये। तो दोस्तों आज हम जानेंगे की ज़िन्दगी में 'ज्ञान' और 'लक्ष्य' का कितना महत्व होता है और ज़िन्दगी इसका महत्व हमे किस तरह सिखाती है ,यह दोनों चीज़े भले ही अलग हो पर इनका एक दूसरे के साथ काफी गहरा संबंध है। ज़िन्दगी में सफलता हासिल करने के लिए हम क्या कुछ नही करते मेहनत करते है, अनुशाषित भी हो जाते है, सोच भी बड़ी रखते है और अपना सबकुछ समर्पित भी कर देते है, लेकिन क्या होगा अगर हम अपनी सारि ऊर्जा एक ऐसे रास्ते पर खर्च कर रहे है जिसका हमे ज्ञान ही न हो, जिसके मंज़िल के बारे में हमे पता ही ना हो तो ज़रा सोचो क्या होगा ? मैं जनता हु क्या होगा - बस समय की बर्बादी होगी और हमे कुछ हासिल नही होगा और फिर क्या हम इसका दोष किस्मत को देदेगें और ज़िन्दगी से हार जायेगे, लेकिन क्या ये सही है ? मैं कहूंगा नही! यह सही नही है। हमे इसका कारण जानना चाइये और वह कारण क्या है, की इतनी ऊर्जा खर्च करने पर भी सफलता नही मिल रही है, तो मैं कहूंगा वो है आपका 'अधूरा ज्ञान' और 'अधूरा लक्ष्य'। अब्दुल कलाम जी ने बहोत बढ़िया बात कही है - "ज्ञान ही एक ऐसी चीज़ है जो आपको महान बनाती है।" ज्ञान ही एक ऐसी संपत्ति है जिसकी शुरवात तो है लेकिन अंत नही वो क्योंकि वो असीम है आसमान की तरह। अगर किसी field का आपको विशिष्ट ज्ञान हो तो आप अपना लक्ष्य निर्धारित कर सकते हो, यह काफी आसान फार्मूला है लेकिन इसे न जाने क्यों लोगो को समझने में इतना वक़्त लग जाता है - { ज्ञान = लक्ष्य = सफलता }। तो आइए जानते है 'ज्ञान' और 'लक्ष्य' के बारे मे की क्यों ये ज़िन्दगी में इतना महत्वपूर्ण है ।
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        शास्त्रो में लिखा है मनुष्यो और जानवरों को अगर कोई चीज़ अलग करती है तो वो है मनुष्यो के पास होने वाला ज्ञान, क्योंकि  नींद, भोजन, भोग और भय तो जानवरो के द्वारा भी की जानेवाली प्रक्रियाये है, लेकिन उनके पास सिर्फ एक चीज़ का अभाव होता है और वो है मनुष्यों की तरह ज्ञान। अब मैं सोचता हु ज्ञान क्या है ? तो ज्ञान के बारे में कुछ लोग कहते है की जो हमे किताबो से प्राप्त होता है जो हमे हमारे गुरु सिखाते है वो ज्ञान होता है। ये कुछ मायनो में सही भी है,लेकिन पूरी तरह से से नही क्योंकि असली ज्ञान की प्राप्ति तो हमे हमारे अनुभव से होती है, ज़िन्दगी से होती है इसीलिए ज्ञान को अनंत कहा गया है क्योंकि एक दिन ज़िन्दगी खत्म हो जाती है लेकिन ज्ञान नही । ज्ञान एक ऐसा हथियार है जो मनुष्य के साथ ज़िन्दगी भर होता है इसलिए शायद दुनिया आपसे सब कुछ छीन भी ले तो भी ज्ञान नही छीन सकती क्योंकि ये आंतरिक होता है,शायद यही कारण है की माता पिता हमे शिक्षण पूरा करने के लिए इतना जोर देते है, जरा सोचिये आपके पास सब कुछ है धन दौलत ,शोहरत सब कुछ लेकिन सही ज्ञान नही है उसे संभालने का तो एक दिन आयेगा जब आप सबकुछ खो दोगे,क्योंकि दुनिया बड़ी ज़ालिम है दोस्तो ये आपको लूटने में समय नही लगाएगी। उदहारण; एक अमीर आदमी के 2 पुत्र होते है राम और श्याम और वे दोनों पिता के लाडले भी होते है। राम को शिक्षण हासिल करने का बहोत शौक होता है,और श्याम सिर्फ मस्ती में ही अपना दिन बिताता है। राम अपनी  degree भी पूरी कर लेता और श्याम उसपर हस्ते हुए कहता है की हमारे पास तो इतना पैसा है तो पढ़ने की क्या ज़रूरत है? और राम उसे कभी कोई जवाब नही देता ,एक दिन उनके पिता गुज़र जाते है और उनके नाम अपनी सारि दौलत को आधा आधा बाँट देते है,राम पढ़ा लिखा होता है वो अपनी दौलत का सही इस्तेमाल कर उसे और ज़्यादा बड़ा लेता है लेकिन श्याम सिर्फ अपनी दौलत उड़ाता रहता है। एक दिन श्याम की सारी दौलत खत्म हो जाती है और वो परेशान होकर राम के पास आता है और उससे पूछता है की राम मेरा तो सब धन खत्म हो गया लेकिन तुम्हारे पास और अधिक धन कैसे आ गया,तब राम उसे जवाब देता है - भय्या आप हमेशा मुझसे एक सवाल करते थे की तुम पढ़ाई में इतनी मेहनत क्यों करते हो तो इसका जवाब आज देता हु  और इसका जवाब है मेरी आज की परिस्थिति जो आप जैसी नही है और श्याम शर्म से अपना सिर झुका लेता है। तो इस उदहारण से आप समझ ही गए होंगे की ज्ञान का अभाव आपसे बहोत कुछ छीन भी सकता है या फिर कभी कुछ हासिल नही होने देता, इसलिए ज्ञान इतना महत्वपूर्ण है। ज्ञान 2 प्रकार के होते है - ◆सामान्य ज्ञान ◆विशिष्ट ज्ञान। सामान्य ज्ञान हमे हमारे माता पिता और गुरुओ से मिल जाता है जो की काफी ज़रूरी है , परंतु विशिष्ट ज्ञान हमे अपने अनुभवों से स्वयं हासिल करना पड़ता है जो की आपको सफल बनाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि विशिष्ट ज्ञान ही आपको सही लक्ष्य ढूंढने में मदद करता है, और आपकी मंज़िल को रास्ता देता है। अगर आपके पास विशिष्ट ज्ञान का अभाव है तो आज ही फैसला ले आवश्यक ज्ञान हासिल करने का और जब ज्ञान हासिल हो जाए तो अपने लिए सही लक्ष्य निश्चित कीजिये और योजना बनाइये उसे हासिल करने का, अगर आप अपने field में  काम करोगे तो खुश भी रहोगे । विशिष्ट ज्ञान अपके विचारो को मूल्यवान बनाता है और दुनिया उन्हें महान कहती है जिनके विचार मूल्यवान हो । अब मैं सोचता हु ज्ञान क्यों ज़रूरी है - आप मानो या न मानो दोस्तो इंसान अपनी औकात के हिसाब से ही पैसे कमाता है, बहोत लोग नाराज़ होते है के वो ज़्यादा पैसे नही कमाते और ये सोचकर वो और मेहनत करते है,लेकिन यहा वो सबसे बडी गलती करते है, उन्हें मेहनत बढ़ाने से अच्छा खुदकी value बढ़ानी चाइये क्योंकि 24 घंटे के दिन में आप 25 घंटे काम नही कर सकते है लेकिन अपनी value बढ़ाकर अपनी salary ज़रूर बढ़ा सकते हो, और दोस्तो आप सभी जानते है हमारी value बढ़ती है हमारे हासिल ज्ञान से हमारे सोचने की ताक़त से। एक ही आफिस में लोग 8 घंटे काम करते है लेकिन सभी की salary में फर्क होता है क्योंकि किसीको 20 हजार मिलते है तो किसीको 1 लाख ऐसा इसलिए होता है की उन सबकी value में फर्क होता है उनका सबका अलग ज्ञान होता है जिसके आधार पर उन्हें उनकी salary मिलती है और इसलिए ज्ञान इतना ज़रूरी है। किताबे पढ़े खुदको devlope करे और असीम ज्ञान हासिल करे ताकि आपकी वैल्यू खुद बढ़ जाए और पैसा खुद आपके पास चलके आये । ज्ञान सबसे श्रेष्ट है और यही आपको आपके जीवन का लक्ष्य और सफलता हासिल करता है ।
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        लक्ष्य क्या है? लक्ष्य एक मार्ग है जो आपको आपके मंज़िल को पाने में बहोत मदद करता है, आपमे से कितने ही लोग होंगे जो रोज़ एक नया लक्ष्य लेकर घर से निकलते है, जो की काफी प्रशंसक बात है लेकिन कितने ही लोग है इस दुनिया में जो बिना लक्ष्य के आज भी जीवन बिता रहे है जो की काफी डरने वाली बात है। लक्ष्य कुछ भी हो सकता है किसी student के लिए 90% लाना लक्ष्य हो सकता है या फिर किसी employee के लिए अच्छा performence देना एक लक्ष्य हो सकता है। जिसने अपने ज़िन्दगी में लक्ष्य को महत्व दिया उसे ज़िन्दगी महत्व देती है। ज़रा सोचिये अगर हमे पता है के हमे कहा जाना है तो हम शायद वहा जल्द पहोच सकते है लेकिन अगर हमे पता ही न हो की हमे जाना कहा है तो शायद हम भटक जायेगे उसी तरह ज़िन्दगी में अगर कोई लक्ष्य न हो तो शायद हम ज़िन्दगी की सफलता से भटक जायेगे और हमारी teacher ज़िन्दगी ये कभी नही चाहती। हर किसीके पास सीमित ऊर्जा और समय होता है, और अगर हम इस ऊर्जा और समय को सही लक्ष्य को पाने में लगाए तो हमे हमारी सफलता ज़रूर मिलेगी। हर वयक्ति का एक specific लक्ष्य होना चाइये वो बड़ा हो या छोटा फर्क नही पड़ता बस वो specific होना चाइये, उदहारण के लिए अगर कोई वयक्ति किसी ट्रैन स्टेशन पर टिकट लेने जाए और वहा उससे पूछा जाए की आपको कहा जाना है और वो वयक्ति कहे मुझे नही पता कही भी ले चलो तो उस वयक्ति का क्या होगा ज़रा सोचिये ? न तो वो कोई मंज़िल तक पहोच पायेगा ,समय की बर्बादी अलग होगी और दुनिया उसपर हँसेगी अलग,लेकिन अगर उसे पता है की उसका destination क्या है तो वो एक समय के बाद अपनी मंज़िल पर पहोच ही जाएगा, वैसे ही हमारी ज़िन्दगी में होता है की हमे हमारा लक्ष्य अगर सही पता हो तो हम भी मेहनत कर एक दिन वहा पहोच ही जाते है जहा हमे पहोचना है। बहोत लोग होते है जो काफी ऊर्जावान और उत्साहित होते है लेकिन उनके पास कोई लक्ष्य ही नही होता तो आप ही बताइये ऐसे उत्साह और ऊर्जा का कोई मतलब होगा? मैं कहता हु नही ! हर इंसान के पास लक्ष्य होना ही चाइये और उन्हें अपनी ऊर्जा वही खर्च करनी चाइये। तो आज से  ही दोस्तो आप भी ठान ले की रोज़ छोटे छोटे लक्ष्य बनायेगे और  उन्हें पूरा कर एक दिन बड़ी मंज़िल हासिल करेंगे !
                                                                                                                              धन्यवाद !
अगर आपको मेरी पोस्ट पसंद आयी हो तो please शेयर कीजिये और कमेंट किजिये और फॉलो करना न भूले मैं आपको ऐसे रोचक बातो वाली पोस्ट देता रहूंगा मैं आपका दोस्त निष्कर्ष सिद्धार्थ ।
            
        

Friday, September 21, 2018

ज़िन्दगी मेरी TEACHER : सोच और डर



        हेलो दोस्तो! मैं आपका दोस्त निष्कर्ष सिद्धार्थ!कैसे आप सभी ? बेशक अच्छे ही होंगे! तो दोस्तो हमारे पिछले ब्लॉग में हमने जाना के ज़िन्दगी हमे किस तरह अनुशाशन और समर्पण सीखना चाहति है और अगर हम इस चीज़ को ना समझ पाए तो किस तरह ये हमे सबक सिखाती है, और एक दिन सही रास्ते पर लाकर खड़ा कर देती है। मैं आशा करता हु आप समझ ही चुके होंगे की अनुशासन और समर्पण कितना ज़रूरी होता है जिंदगी में। तो चलिये हम आगे बढ़ते है।
         दोस्तो अब हम देखेंगे की ज़िन्दगी में 'सोच' और 'डर' का कितना महत्व होता है और ज़िन्दगी हमे इन दोनों शब्दो को लेकर क्या सीखना चाहती है। हम सब ने देखा है इस दुनिया में सभी कुछ न कुछ बड़ा हासिल करना चाहतें है, जो की काफी अच्छी बात है, लेकिन क्या हम इस बड़ी चीज़ को हासिल करने के लिए सही रास्ता चुनते है ? मैं जनता हु आपमे से अधिकतर लोग सोचते है की 'हाँ' हम सब सही रास्ता चुनते है और मेहनत भी करते है और आपका जवाब भी होगा "हाँ", लेकिन क्या उस सवाल के बाद अगर मैं सवाल पुछू की क्या आप सभी उस बड़ी चीज़ को हासिल कर लेते है जो आप चाहते हो? तो आपमे से अधिकतर लोगों का जवाब होगा "नही" ! तो फिर इसका क्या कारण हो सकता है, ज़रा इसपर गौर करते है - हम अक्सर जब अपनी ज़िन्दगी में  जब बड़ा बनने का रास्ता ढूंढते है तो हमे तलाश होती है ऐसे रास्ते की जो हमे हमारी मंज़िल तक ले जा सके, और इस तलाश में हम एक ऐसा रास्ता चुन लेते है जिसपे सारि दुनिया चलती है 'डर' का रास्ता, ख़ुदको सुरक्षित रखने का रास्ता, जैसा दुनिया सोच रही है वैसा सोचने का रास्ता ताकि हमे हार का सामना न करना पड़े और उसके बाद ज़िन्दगी के आखरी मोड़ पर हम सिर्फ एक आम आदमी बनकर रह जाते है, इसका सबसे बड़ा कारण है की हम हार के डर के साये में अपनी पूरी ज़िन्दगी निकाल देते है और अपनी सोच को उड़ान के पंख नही देते और बड़ा सोचने की कोशिश नही करते, तो ज़रा सोचिये कैसे हम वो बड़ी चीज़ हासिल कर पाएंगे जो हम चाहते है। क्या आप जानते है दुनिया में सिर्फ 1℅ लोग ही है जो कामयाब है जिन्हें दुनिया का सुख मिला है, और 99℅ लोग सिर्फ आम ज़िन्दगी जी रहे है, यह 1% लोगो की क्या सिर्फ किस्मत अच्छी होती है ? नही ! यह सिर्फ इसलिये सुखी है, क्योंकि यह 1% लोग वो सोचते है जो किसीने नही सोचा, ये लोग वो बनाते है जो किसीने नही बनाया, ये खुद से सवाल करते है नाकि दुनिया से इसीलिए ये इतिहास रचते है और बड़ी सफलता हासिल करते है और बाकी 99℅ लोगों को क्या मिलता है एक अधूरी ज़िन्दगी, क्योंकि इनमे कुछ अलग सोचने की ताक़त नही होती।  
         सोच क्या है? ये एक बहोत ही ताक़तवर चीज़ है जो आपको कामयाबी का रास्ता दिखाती है अगर ये सोच बड़ी हो तो, और इसे हम follow भी करते हो तो, लेकिन हमारी इस दुनिया में सोच का जन्म ही गलत तरीके से होता है जो की हमे हमारे माता पिता , शिक्षक और दोस्तो से मिलती है। हमारे माता पिता और हमारे शिक्षक हमे बचपन से ही सिखाते है की बेटा खूब पढ़ाई करो ख़ूब मेहनत करो ताकि तूम्हे एक अच्छी नौकरी मिल सके और तुम अपना पेट पाल सको। मतलब हमे हमारी आजीविका के लिए program किया जाता है, हमारी सोच को छोटा बना दिया जाता है जिसका मतलब ये होता है के हम सिर्फ जितना ज़रूरत हो उतना कमाए और अगर इसका विरोध करते हुए आप यह कह दे की नही मुझे तो बड़ा इंसान बनना है नौकरी नही करनी तो सब आपका मज़ाक बनाते है, और फिर आप एक दिन हारकर दुनिया का सुन लेते हो और वही करते हो जो 99℅ लोग कर रहे है,क्या सोच का डर इतना ताक़तवर होता है ? तो मैं कहूंगा हा । इसके लिए मैं आपको एक मशहूर उदहारण देना चाहूँगा की सोच ईतनी बलवान क्यों है - एक भैसों के तबेले में एक भैस का बच्चा होता है जिसे उसका मालिक एक लकड़ी के खुटे से बांधकर रखता है और उसे वही चारा देता है, भैस का बच्चा रोज़ कोशिश करता है उस खुटे से आज़ाद होने की लेकिन रोज़ असफल हो जाता है क्योंकि उस बच्चे में बल थोड़ा काम होता है और एक दिन ऐसा आता है की वह हिम्मत हार जाता है और सोच लेता है की वह उस खुटे का कुछ नही बिगाड़ सकता और अपने दिमाग में यह program डाल देता है, लेकिन जब वक़्त घुज़रता है और वो भैसे का बच्चा बड़ा हो जाता है और उसमे असीम शक्ति आ जाती है तब भी वह उस खुटे का कुछ नही बिगाड़ पाता और सारि ज़िन्दगी उसी खुटे से बंधा होता है । क्या आप इसका जवाब दे सकते है ऐसा क्यों होता है ? इसका जवाब यह की वो भैसा जब बचपन में अपने दिमाग में सोच लेता है और Program डाल देता है की वह उस खुटे का कुछ नही बिगाड़ सकता और यही program उसे याद दिलाता रहता है की उस खुटे का वो कुछ नही बिगाड़ सकता , जिस वजह से उसके बाद वो कभी कोशिश ही नही करता उससे आज़ाद होने की। ये एक हँसने वाली बात है की इतना ताक़तवर भैसा उस छोटी सी लकड़ी का कुछ नही कर पाता जबकि वो चाहे तो लकड़ी क्या पूरा तबेला हिला सकता है,लेकिन मैं चुनौती देता हूं उस भैसे के मालिक को की वो एक जंगली भैसे को गुलाम बनाकर दिखाए वो ऐसा कर ही नही सकता क्योंकि जंगली भैसा अपनी सोच में आज़ाद होता है उसे कोई गुलाम नही बना सकता। वैसे ही हम भी अपनी ज़िन्दगी में एक खुटे से बंधे होते है और अपनी सोच को बदलते नही, बड़ा नही बनाते। जब तक आप अपने दिमाग का program नही तोड़ोगे और बड़ा नही सोचोगे तो कुछ नही हो सकता इसीलिए सोचो डरो मत, क्योंकि जिस दिन आप डर से आगे निकल कर सोचोगे उस दिन से नए रास्ते खुलेंगे, अपनी काबिलियत को पहचानोगे और फिर इतना कमाओगे की यकीन नही होगा ।
गुलाम भैसा और जंगली भैसा

        डर क्या है? यह एक बहोत ही खोकला शब्द है जो आपको ज़िन्दगी भर बांध के रखता है, लेकिन इसको ताक़तवर भी आप लोग ही बनाते हो इसे अपनाकर, ये आपकी सोच की उड़ान को रोकने का सबसे बड़ा कारण होता है, एक सेमिनार में सुना उधारण देना चाहूंगा - एक बार एक कौवी के घोसले में एक बाज़ का अंडा गिर जाता है और कौवी उसे अपना अंडा समझ के रख भी लेती है वक़्त के साथ उसमे से बच्चे निकलते है जिसमे से एक बच्चा बाज़ का होता है लेकिन कौवी उसे अपना बच्चा समझके पालती है और जब वो बच्चे उड़ना सीखते है तब उसमे से बाज़ का बच्चा थोड़ा ऊपर उड़ता है क्योंकि वो एक बाज़ होता है लेकिन कौवी उस बाज़ के बच्चे को ऊपर उड़ने से मना करती है ये कहकर की बेटा हम इतने ऊपर नही उड़ते इससे गिरने का डर होता है और बाज़ का बच्चा कौवी की बात मानकर ज़िन्दगी भर नीचे ही उड़ता है जबकि उसके पास असीम ताक़त होती ही आसमान को छूने की , ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उसके मन में वो डर बैठ जाता है ।और सही माइनो में हम भी ऐसे ही डर में जीते है और काबिलियत होने के बाद भी ज़िन्दगी भर कुछ बड़ा नही कर पाते। यकीन मानिये दोस्तो हम भी उसी बाज़ के बच्चे है जो आसमान को छूने की ताक़त रखते है और चु भी सकते है, लेकिन कोशिश न करने की वजह से हम भी आसमान नही छु पाते। बस दम रखो अपनी सोच में और डर को खत्म करो और आगे बड़ो, नौकरी पाने के लिए नही बल्कि नौकरी देने के लिए ख़ुदको program करो ।

नीचे उड़ता कौआ और आसमान छूता बाज़

         तूम्हे चुनना है की तुम क्या हो - छोटी सोच वाला शेर जो circus में काम करता है, या बुलंद सोच वाला शेर जो जंगल पर राज करता है ।
सर्कस का शेर और जंगल का राजा शेर


नज़र को बदलो तो नज़ारे बदल जाते है 
सोच को बदलो तो सितारे बदल जाते है 
कश्तियां बदलने की ज़रूरत नही
दिशा बदलो तो किनारे खुद ब खुद बदल जाते है ! 
                                                     
                                                         धन्यावाद........!

 बड़ी सोचकर अपनाकर और अपना डर भागकर सफल बनने वाले वयक्ति :
 1) धीरू भाई अम्बानी
 2) नवाज़ुद्दीन सिद्धिकी
 3) सिकंदर महान      
                  
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Tuesday, September 18, 2018

ज़िन्दगी मेरी TEACHER : अनुशासन और समर्पण

                 
   


      
          Hello दोस्तो ! मैं आपका दोस्त निष्कर्ष सिद्धार्थ! कैसे है आप सभी , बेशक अच्छे ही होंगे। पिछले post में हमने जाना के ज़िन्दगी क्या है और ये हमे वक़्त के साथ कुछ सबक देती ही रहती है, इसीलिए हमने इसे हमारा teacher माना है कहने का मतलब ये है की कही ना कही ज़िन्दगी हमे हर समय कुछ न कुछ सिखाती रहती है जो हमारे जीवन को एक नही परिभाषा देती है। ज़रा सोचिए अगर हमारी ज़िन्दगी एक ही तरीके से चलती रही जैसे हमारे हाथो की घड़ी चलती है तो क्या इसे जीने में मज़ा आएगा या फिर कभी ऐसी ज़िन्दगी किसी इंसान के लिए मिसाल के लायक बन सकती है , मुझे नही लगता क्योंकि ये तो एक हँसने वाली बात हो जाएगी, इसका मतलब ये है की जीवन में 'change' बहोत ज़रूरी है। लेकिन क्या change इतने जल्दी आता है ? अगर हम खुदको बदलना चाहे तो क्या पलक झपकाते ही बदल सकते है? तो मैं कहूंगा नही! ये तो एक नामुमकिन बात है, और हमे ऐसी कोशिश भी नही करनी चाइये, तो फिर क्या करना चाइये ? हमे सही रास्ता चुनना चाइये क्योंकि इंसान सुखी हो या फिर दुखी , अमीर हो चाहे गरीब उसे ख़ुदको एक वक़्त पर आकर तो बदलना ही पड़ता है, उदहारण के लिए कहा जाए  तो बचपन में हम जो गलती करते  है उसे दुनिया नादानी कहती है, लेकिन अगर वही गलती हम जवानी में करे तो यही दुनिया उसे गलती कहती है, इसलिए जीवन में परिवर्तन कितना ज़रूरी हैं ये तो आप समझ ही गए होंगे और शायद यही कारण है हर इंसान वक़्त के साथ ख़ुदको बदलता है, ख़ुदको सभ्य बनाता है वरना ये दुनिया हमे स्वीकार नही करेगी,जैसे शादी से पहेल इंसान कुछ औऱ होता है और शादी के बाद कुछ और ।वो दोनों परिस्थितियों में समान वयवहार नही रख सकता। ये छोटे उदहारण है सिर्फ़ बताने के लिए परिवर्तन कितना ज़रूरी है और ऐसा ही परिवर्तन तब भी ज़रूरी है जब सफलता हासिल करना हो या तब भी जब ज़िन्दगी में कुछ सही नही चल रहा हो , पर क्या change लाना इतना आसान है? तो मैं कहूंगा नही ! ये इतना आसान नही है चाहे वो किसी भी feild में हो मेरा मतलब है आंतरिक(internal) या फिर बाहरी(external) वैवहार में। मान के चलिये अगर आप किसी GYM में जाते हो तो क्या आपकी body तुरंत बन जाती है , शायद ही कोई होगा ऐसा होगा, लेकिन मेरे खयाल से तो कोई नही होगा। लेकिन अगर आप मन लगाकर पुरे विश्वास  से GYM में मेहनत करोगे तो आपको शायद आपके body में कुछ changes दिखगे और एक दिन आपकी body भी बन जाएगी,लेकिन इसके लिए वक़्त तो लगता है लेकिन क्या आप जानते है ऐसे मेहनत के लिए कौनसी चीज़ों का होना ज़रूरी है ? तो दोस्तो वो है 'अनुशासन (discipiln)'और'समर्पण (dedication) जो की ज़िन्दगी का सबसे पहला और महत्वपूर्ण सबक है, इसीलिए शायद बच्चो की school सुबह सुबह होती है ताकि वो अनुशासन सिख सके। अनुशासन और समर्पण कहने को तो बहोत आसान लगते है, पर इसे ज़िन्दगी में शामिल करना बहोत मुश्किल होता है, लेकिन एक बार इसे जिसने अपने ज़िन्दगी में शामिल कर लिया सफलता के दरवाज़े उसके लिए खुल जाते है । तो क्या है अनुशासन और समर्पण  आइये जानते है ।


         
         आज के इस ज़माने में जिसे हम 'digital world' भी कहते है,जो की कहने को तो काफी है smart और advance है जो की शायद सच भी है, और ये दुनिया को तरक़्क़ी भी दे रहा है, लेकिन क्या ये सच नही है के ये लोगो को बहोत आलसी भी बना रहा है, हर कोई अपना काम आज घर बैठे ही कर लेता है कुछ महान लोग तो बिस्तर भी नही छोड़ते जो की आलस को बढ़ावा देता है। ना यहाँ किसीको सुबह उठने की परवाह है ना किसीको रात को जल्दी सोने की यहाँ सब लगे है अपने online schedule में। आप ही बताइये ये सही है? मैं कहूंगा ये बिल्कुल सही नही है। मैं ये इसलिए कह सकता हु क्योंकि मैंने इस चीज़ को खुद कही आज़माया है और महसूस किया है। आलस आपके passion को खत्म करता है। लेकिन शुक्र मानिये दोस्तो हमारी teacher ज़िन्दगी ऐसा ज़्यादा दिनों तक सहन नही करती और वो हमे कभी न कभी ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर देती है जहा हमे सब बर्बाद होते हुए दिखता है और तब हम ये सोचते है की ' मैन तो अभी शुरवात ही की थी ज़िन्दगी की ' और ज़िन्दगी ने मेरे साथ ये क्या कर दिया और हार मानकर बैठ जाते है। लेकिन इसके पीछे क्या कारण हो सकता है ये कोई नही सोचता, तो मैं कहूंगा अनुशासन और समर्पण का ना होना इसका सबसे बड़ा कारण है, क्योंकि अनुशासन से ही इंसान में passion बढ़ता है और passion को पूरा समर्पण दिया जाए तो उसे असली मेहनत कहते है जो आपको कभी ना कभी कोई ना कोई मुकाम तक ज़रूर लेकर जाती है। ये जिन्दगी का उसूल है कुछ पाना है तो कुछ खोना पड़ेगा ही, कहने का मतलब है अनुशाशन और समर्पण काफी ज़रूरी है सफलता और एक अच्छा result पाने के लिए । जितना आप ज़िन्दागी को दोगे, ज़िन्दगी उतना ही आप पर लुटायेगी, क्योंकि दोस्तो " ज़िन्दगी हमे वो नही देती जो हम चाहते है, ज़िन्दगी हमे वो देती है जिसके हम लायक होते है।"ये एक सरल formula है {discipline + dedication = success}

            दोस्तो क्या आप जानते है अनुशासन में रहना कितना मुश्किल है? शायद नही ! तो एक बार कोशिश कीजिये समझ जाओगे, अनुशासन से एक बार कोशिश कीजिये सूरज से पहले उठने की चाहे आप कितना ही देर से क्यों ना सोते हो, कोशिश कीजिये मुश्किल रास्तो पर चलने की जबकि आपके पास सरल रास्तो का विकल्प हो,कोशिश कीजिये मजबूत बनने की जहा सब कमज़ोरी बता रहे हो, कोशिश कीजिये 20 कदम चलने की जहा लोग 10 कदम भी न चल पा रहे हो, कोशिश कीजिये आगे बढ़ने की जब आपमे आगे बढ़ने की हिम्मत ख़त्म हो जाए। ये काफी मुश्किल लगता है पर नामुमकिन नही ये सब चीज़े आप तब कर सकते हो जब  आपमे भरपूर अनुशासन हो और समर्पण की भावना हो।आपको पता है सपना हर कोई देखता है उसके लिए कुछ मेहनत भी कर लेता है लेकिन कुछ हार के बाद और जल्द कोई result ना मिला तो वो जल्दी निराश होकर हिम्मत हार जाता है और अपना सपना छोड़ देता है। ऐसा क्यों होता है? क्योंकि सपना जितना वो deserve ही नही करता,क्योंकि जीतना वो deserve करता है जो मेहनत पर विश्वास रखता हो और जिसे त्याग करने की आदत हो,जो अपना सबकुछ समर्पित करने को तैयार रहता हो जो अपने लक्ष्य के लिए रात दिन सोता ना हो वही अपना सपना हासिल कर सकता है और ये सिर्फ अनुशासन और समर्पण ही आपको सीखा सकता है। इन 2 चीज़ों का ना अपनाया तो आप कुछ हासिल नही कर सकते। बड़ी सफलता बड़ी मेहनत और बड़ी struggle का नाम है, आपको आपके 'comfort zone' से निकलना ही होगा। एक उदहारण पढ़ा था कही तो वो देना चाहूंगा - चीन में एक मशहूर tree है जिसे सब 'chinees bamboo tree' कहते है जो की मशहूर है अपने growth period( वृद्धी का समय )के लिए क्योंकि इस ट्री को बड़ा होने के लिए 5 साल लगते है, हैना ये एक आश्चर्यजनक बात, लेकिन जब ये 5 साल के बाद बढ़ना शुरू करता ही तो सिर्फ 6 हफ़्तों में ही 90 फुट तक ऊँचा हो जाता है जो एक की एक चौकाने वाली बात है, इसीलिए यह इतना मशहूर ट्री है और सभी इसे देखना पसंद करते है , लेकिन इस ट्री के बारे में लोग यह सोचते और कहते है की यह ट्री सिर्फ 6 हफ़्तों में इतना बड़ा हुआ है, लेकिन कोई यह नही देखता की इसके पीछे 5 साल की मेहनत है उन लोगो की जिन्होंने इस ट्री को 5 साल तक लगातार पूरे अनुशासन और समर्पण से पानी और मिट्टी दीया है, अगर ये लोग ये काम करते हुए ये सोचते की रोज़ हम इस ट्री को बड़ा करने के लिए मेहनत कर रहे है लेकिन इसका कोई परिणाम नही मिल रहा और और अपना काम छोड़ देते तो क्या हमे ये खूबसूरत ट्री कभी देखने को मिलता? नही! ये बेचारा तो ज़मीन में ही मर जाता । ऐसा ही हमारे ज़िन्दगी में भी होता है हम अगर किसी चीज़ की शुरवात करे और उसपर पूरे अनुशासन और समर्पण से मेहनत करे तो हमे हमारी मंज़िल मिल ही जाती है लेकिन बीच में ही वो काम छोड़ दिया जाए तो मंज़िल मिलना नामुमकिन है, और ये समय की बर्बादी भी है लेकिन कुछ लोग इस चीज़ का दोष भी किस्मत को दे देते है। हमे सिर्फ ये सोचना चाइये की हम जो भी काम कर रहे हो वो पूरी ईमानदारी से हो और पूरे अनुशासन से हो क्योंकि कोई भी काम का result तुरंत नही मिलता, आपको भरोसा रखना पड़ेगा, सबर रखना पड़ेगा ,काबिलियत रखनी पड़ेगी क्योंकि , " अनुशासन आपको शायद मनोरंजन न दे , लेकिन हर बार मुनाफा और तरक़्क़ी ज़रूर देगा। " सब कहते है की उनकी तरक्की हो लेकिन कोई कीमत नही चुकाना चहाता, इसीलिए बहाना देना बंद कीजिये और क़ीमत चुकाने के लिए तैयार रहिये। आपका दिमाग ही आपकी सबसे बड़ी ताकत है इसका इस्तेमाल कीजिये और खुदपर भरोसा रखिये,क्योंकि कही ऐसा न हो जाए की आपसे कम काबिलियत वाला इंसान सिर्फ ये 2 चीज़ों का इस्तेमाल करके आपसे आगे निकल जाए और आप बस ज़िन्दगी भर पछताते रह जाओ।

chinees bamboo tree


                                                                      धन्यवाद..........!
                                                     
अनुशाषित और समर्पित सफल व्यक्ति :
1) अक्षय कुमार
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Saturday, September 15, 2018

ज़िन्दगी मेरी TEACHER...! परिचय

                                 परिचय


         ज़िन्दगी ! 7 अक्षर का ये एक शब्द कहने के को तो काफी छोटा है, लेकिन इंसान इन्ही 7 शब्दो के इर्द-गिरद हम अपना सारा जीवन बिताते है । ज़िन्दगी वास्तव में क्या होती है? क्या कोई इसका जवाब दे सकता है, कुछ लोग कहेंगे की जो हमे हमारे भगवान या हमारे माता पिता दान स्वरूप देते है उसे ज़िन्दगी कहते है, या फिर कोई कहेगा की  ज़िंदा रहना ज़िन्दगी है,और मर जाना मौत जो की ज़िन्दगी का विपरीत शब्द है। पर क्या वास्तव में ऐसा है बस यही है ज़िन्दगी, क्योंकि मुझे लगता है ज़िन्दगी ये नही है ज़िन्दगी ना ही कोई तौफा है जो हमे दान में मिला है और ना ही कोई सास लेने की process ,क्योंकि अगर ऐसा होता तो हम सब जन्म लेते और 80 साल सास गिनते और एक दिन मर जाते। नही ! ज़िन्दगी ये तो नही हो सकती तो मैं पूछता हु क्या है ज़िन्दगी ? सही शब्दो में कहा जाए तो ज़िन्दगी बिना मकसद के कोई मायनो की नही है, इसका मतलब जिस इंसान के जीवन में कोई मकसद ना हो उस ज़िन्दगी को हम ज़िन्दगी नही कह सकते। मतलब हमारे ज़िन्दगी में अपने मकसद के प्रति आस्था होना बहोत ज़रूरी है जिस इंसान के जीवन में लक्ष्य के लिए आस्था हो उसीका जीवन सफल है और जो इंसान अपना लक्ष्य या मंज़िल हासिल कर ले उसीके जीवन को कहते है सही 'ज़िन्दगी' ,लेकिन क्या सही मायनो में ये इतना आसान है , तो मैं कहूंगा नही ये इतना आसान भी नही है , हा पर मैं ये कहूंगा की ये नामुमकिन भी नही है ।

          अब शायद आप ये सोच रहे होंगे की इस blog का topic तो लिखा है " ज़िन्दगी मेरी teacher" तो फिर मैं ज़िन्दगी का मतलब क्यों बता रहा हु तो ये सिर्फ एक छोटा-  सा introduction है हमारी teacher का जिसे समझना ज़रूरी है क्योंकि किताबे हमे जीवन में क्या करना है ये सिखाती है, लेकिन हमारी ज़िन्दगी हमे ये सिखाती है के जीवन जिया कैसे जाता है ,और शायद एक बार हम किताबो के सबक भूल भी जाए पर ज़िन्दगी के सबक कभी नही भूलते औऱ आप सभी इस बात का अनुभव कभी न कभी ले भी चुके होंगे । इसने मुझे और मुझ जैसे करोड़ो को सिखाया है और सबको जीने का मकसद दिया है। अब ये हमे क्या सिखाती है और किस तरह सिखाती है ये कुछ lessons और कुछ महान लोगो के जीवन से जुड़ी बातो से बताऊंगा। इन्हें समझना क्यों ज़रूरी है मैं जनता हु,शायद इसे पढ़कर आप भी जान जाओगे की क्यों ज़रूरी है। तो दोस्तो क्या आप लोग तैयार हो अगर तैयार हो तो कृपा करके blog को share कीजिये और comment कीजिये मैं अपने अगले post में आपको ज़िन्दगी का पहला lesson बताऊंगा जो की काफी interesting रहेगा , मैं आपका दोस्त NISHKARSH SIDDHARTH ।

                                                   धन्यवाद.......!

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