Monday, November 12, 2018

ज़िन्दागी मेरी TEACHER : त्याग और परिश्रम

     
   
        हेलो दोस्तो ! मैं आपका दोस्त निष्कर्ष सिद्धार्थ! कैसे है आप सभी , मैं आशा करता हु अच्छे ही होंगे। हमने अपने पिछले पोस्ट्स में काफी अच्छे सिद्धांत समझे जो हमे हमारी टीचर ज़िन्दगी हमे सीखाना चाहती है, और कृपया कर आप उसपर भी एक नज़र डालिए। आज हम उस टॉपिक पर चर्चा करेंगे जो हमारे सारे टॉपिक्स का अंत है या फिर कहे तो शुरवात है। दोस्तो हम सभी जानते है की परिश्रम से सफलता हासिल की जा सकती है, जो हमे हमारे बचपन से ही हमारे माता पिता और हमारी पुस्तको द्वारा समझाया जाता है। क्या यह सच है? क्या परिश्रम से सचमुच सफलता हासिल की जाती है? और अगर ऐसा है तो मजदूर और हमाल क्यों अमीर नही है? क्यों दिन रात मेहनत करने के बाद भी वो दो वक़्त के खाने के लिए तरस रहे है? क्या कोई इसका जवाब दे सकता है? शायद नही! मैं दे सकता हु,लेकिन अभी नही आगे आपको इसका जवाब मिलेगा। दोस्तो हम अक्सर सुनते आ रहे है की परिश्रम करो अच्छा फल मिलेगा, और सभी शायद अपने से छोटे उम्र वालो को यही बताते है, लेकिन कभी कोई परिश्रम का सही रास्ता नही बताता, कोई नही बताता की परिश्रम की परिभाषा क्या है और परिश्रम की ताक़त क्या है। आज हम इसी टॉपिक पर बात करेंगे जिसमे हमे परिश्रम को समझना है और उसके लिए कितने त्याग करने पड़ते है, क्योंकि मेरे दोस्तों इस दुनिया में बिना त्याग के कभी कुछ नही मिलता। इस ज़िन्दगी का उसूल ही है एक हाथ दे और एक हाथ ले और हमारी टीचर ज़िन्दगी भी हमे तभी सही जीवन देती है जब हम भी उसे सही गुरुदक्षिणा दे अर्थात बड़े से बड़े त्याग करे सफलता हासिल करने के लिए। तो आइये शुरू करते है।

             परिश्रम! ये परिश्रम क्या है? आप कहेगे किसी भी चीज़ के लिए कड़ी मेहनत करना है परिश्रम। ये जवाब सही भी है और शायद सभी जानते भी है। लेकिन परिश्रम क्या है ये जानने से ज़्यादा ज़रूरी क्या है? शायद आपमे से अधिकतर लोग इसका जवाब नही दे पाएंगे। चलिये मैं ही बताता हु! परिश्रम क्या है ये जानने से अधिक ज़रूरी है - 'परिश्रम की ताक़त  क्या है यह जानना।' परिश्रम की ताक़त में इतना बल होता है की वह एक पहाड़ भी हिला दे और ऐसे कही उदहारण के बारे में हम सभी जानते भी है। आज की इस दुनिया में कई टैलेंटेड बच्चे है वयक्ति है और जिनियस लोग है जो मानते है उनसे कोई नही जीत सकता लेकिन कई बार देखा गया है की उनसे कम टैलेंटेड और कम जिनियस बच्चा या वयक्ति उन्हें पछाड़कर आगे निकल गया, और इसका एक ही कारण था उनका जीतोड़ परिश्रम करना, इसका एक ही कारण था उनके अंदर की भूक जो उन्हें मजबूर करती थी की चाहे जान क्यों ना चले जाए लेकिन हमे तब तक परिश्रम करना है जब तक जीत न मिल जाए। टैलेंट को एक ही चीज़ हरा सकती है और वो है हार्डवर्क। ये मैं नही कहता ये हमारा इतिहास कहता है, इसीलिए सबसे पहले अगर कुछ बनना है तो मेहनती बनो और हमारी टीचर ज़िन्दगी का सबसे आखरी सबक भी यही है क्योंकि जीवन में जब कुछ काम नही आता तब सिर्फ मेहनत काम आती है दोस्तो। इस दुनिया में इतने टैलेंटेड लोग है जो सोचते है की उन्हें सफलता हासिल करने के लिए मेहनत करने की ज़रूरत ही नही है और वह लोग सबसे बड़ी गलती यही पर कर देते है और उनसे कम टैलेंटेड वयक्ति सिर्फ मेहनत कर उनसे आगे निकल जाता है और वह वही के वही रह जाते है। शुरवात में मैने आपसे एक सवाल पूछा था की क्यों एक मजदूर इतनी मेहनत करने के बाद भी अमीर नही बन पाता? इसका सीधा जवाब यह है के उसके जीवन में मेहनत करने का मकसद सिर्फ अपने लिए खाने का इंतेज़ाम करना ही होता है और उसके अलावा कोई मकसद नही होता और वह अपने आप को सीमित दायरों में बांधकर चलता है और उतनी ही मेहनत करता है जितना उसका लक्ष्य होता है। तो दोस्तो इससे आप समझ ही सकते हो की बिना मकसद के परिश्रम का भी कोई वजूद नही होता। आपको हमेशा अपने परिश्रम को एक मकसद देना पड़ेगा और तब तक मेहनत करनी पड़ेगी जब तक आप उसे हासिल ना कर लो चाहे इसमें जान क्यों न लगाना पड़े। इसे एक उदारहण से समझते है - एक ही घर में 3 भाई अपने पिता के साथ रहते थे और तीनो काफी मेहनती भी थे, लेकिन तीनो की सोच में काफी फर्क था और वो फर्क पैसो की कमाई को लेकर था क्योंकि सबसे बड़ा भाई सोचता की कमाई उतनी ही करनी चाइये जितनी ज़रूरत हो मतलब खाने पूर्ति और उससे छोटा भाई सोचता था की कमाई उतनी होनी चाइये जिसमे ज़रूरतों के साथ कुछ पैसा भी बच जाना चाइये मतलब वो जमा पूंजी में विश्वास रखता था और सबसे छोटा भाई हमेशा यह सोचता था की कमाई इतनी होनी चाइये की मेरी कमाई में कमसे कम 100 लोगो का घर पल जाए मतलब वह एक व्यापारी बनने की सोच रखता था। समय बीतता गया और तीनो ने अपने लक्ष्य के लिए काफी मेहनत की और अपने लक्ष्य हमेशा हासिल भी किये। एक दिन अचानक उनके पिताजी काफी बीमार हो गए और उन्हें ऑपरेशन करने की ज़रूरत आन पढ़ी जिसके लिए काफी पैसा लगने वाला था, और तीनो भाइयो पर ये ज़िम्मेदारी थी की उन्हें उनके पिता का इलाज करना है। ऐसे हालात में आपको क्या लगता है की कौन उनके लिए आगे बढेगा और किसकी मेहनत उनके लिए काम आएगी? मैं बताता हु - सबसे बड़ा भाई अपने पिता के लिए कुछ नही कर पायेगा क्योंकि वो तो बेचारा कमाता ही इतना था जिसमे में वो सिर्फ अपने परिवार का पेट भर सके तो उसकी इतनी मेहनत बेकार गयी, और दूसरा भाई भले ही पैसा कमाने के बाद थोड़ा बहोत पैसा बचाता हो लेकिन वो खर्च करने के बाद वो खुद भिकारी बन जाएगा जिस वजह से उसकी भी मेहनत बेकार गयी, औऱ अब बात करते है तीसरे भाई की जो इतना पैसा कमाता है जिसमे वो 100 लोगो का परिवार पाल लेता है तो ज़ाहिर है उसके लिए उसके पिताजी का इलाज करना काफी आसान है, और इलाज करने के बाद उसे शायद उतना फर्क भी नही पड़ेगा मतलब उसकी मेहनत उसके और सबके काम आयी। इस उदहारण से आप समझ ही गए होंगे की मेहनत को मकसद देना कितना ज़रूरी है जो की एक मजदूर और एक हमाल नही देता और अब शायद आप परिश्रम की ताक़त को समझ ही गए होंगे, लेकिन परिश्रम करने के इस प्रकिया में हमे काफी त्याग भी करने पड़ते है और त्याग क्या है आइये कुछ शब्दो में समझते है।


             त्याग! क्या है त्याग? त्याग है समर्पण अपने जीवन की आदतों का जिसको  करने में मज़ा तो आता है, लेकिन वो आपको कुछ रिटर्न में नही देती,अर्थात सुबह जल्दी ना उठना, सिग्गरेट पीना, शराब पीना, समय को बेमतलब के कामो में वैर्थ करना आदि। ज़रा आप ही सोचिये मैन जो भी बाते कही है क्या कभी इन चीज़ों से आपका कुछ फायदा हुआ है या फिर कभी इन बातो से आपकी कीमत बड़ी है। नही! बड़ ही नही सकती, क्योंकि ये चीज़े आपकी ज़िन्दगी सिर्फ बर्बाद कर सकती है, और आपको परिश्रम करने से रोक सकती है जिससे आप सफलता कभी हासिल नही कर सकते और हमेशा गरीबी से ही झुजोगे। त्याग की एक खासियत है की ये आपको सिर्फ फायदा ही देगी और कभी नुकसान नही होने देगी तो मेरे दोस्तो आज के इस आखरी नियम के साथ आप सभी ठान लो की आप आज से सब कुछ त्यागने के लिए तैयार हो गए हो जो आपकी सफलता के आड़े आती है। भले कितनी ही नींद क्यों न आये सुबह उठने के लिए तैयार हो चुके हो, भले ही कितनी तलब क्यों न हो सिग्गरेट,शराब की लत त्यागने को तैयार हो गए हो, और जिस दिन अपने यह सब चीज़े पूरी तहर त्याग दी सफलता आप की ओर आपने आप आकर्षित हो जाएगी और एक दिन आपके कदम भी चूमेगी।
                                                             धन्यवाद!
           
             

Thursday, October 25, 2018

ज़िन्दागी मेरी TEACHER : टाइम मैनेजमेंट और प्लानिंग



       हेलो दोस्तो ! मैं आपका दोस्त निष्कर्ष सिद्धार्थ! कैसे है आप सभी , मैं आशा करता हु अच्छे ही होंगे। हमने अपने पिछले पोस्ट्स में काफी अच्छे सिद्धांत समझे जो हमे हमारी टीचर ज़िन्दगी सीखना चाहती है, और कृपया कर आप उसपर भी एक नज़र डालिए। आज हम बात करने वाले है बहोत ही इम्पोर्टेन्ट टॉपिक पर जिसे हम कहते है "टाइम मैनेजमेंट" और इसिसे से जुड़ी होती है "प्लानिंग" जो हमे सफलता हासिल करने में मुख्य भूमिका निभाती है। दोस्तो टाइम मैनेजमेंट को समझने के पहले आपको समय की ताक़त को समझना होगा। शास्त्रो में लिखा है और आप सभी जानते भी होंगे की इस धरती पर सबसे बलवान अगर कोई चीज़ है तो वह है समय, क्योंकि यह निस्वार्थ है और इसका न्याय किसीमें फर्क नही करता। ये न गरीबो को जानता है और ना ही अमीरों को, ये ना किसीका औदा समझता है  और ना ही किसीका पैसा। ये सिर्फ अपने आप को जानता है, और अपना धर्म समझता है और इसका धर्म है निरन्तर चलते रहना, और सबसे महत्वपूर्ण बात ये कभी किसी के लिए नही रुकता। ये एक एकलौता ऐसा नियम है जो हमारी टीचर ज़िन्दगी हमे जीवन भर सिखाती रहती है,और शायद ये ज़रूरी भी है। समय की एक खास ताक़त होती है और ये ही एक ऐसा यंत्र है जिसपर आपने अगर काबू पा लिया तो आप कुछ भी हासिल कर सकते हो। समय लेन देन का पक्का होता है, और अगर आप इसकी इज़्ज़त करोगे तो समय आपकी बहोत इज़्ज़त करेगा, और अगर आपने इसकी इज़्ज़त नही की तो ये इतने ज़ोर से आपको मुह के बल गिरायेगा की संभलने में काफी मुश्किल होगी। समय में ही ताक़त होती है जो आपका समय बदल सकता है, केहने का मतलब है के आप को समय गरीब से अमीर बना सकता है अगर आपने सही प्लानिंग के साथ इसका प्रयोग किया तो। समय को तो आप समझ ही गए होंगे तो आइये समझते है समय के मैनेजमेंट को और प्लानिंग को।
   

         टाइम मैनेजमेंट क्या है? आप कहोगे टाइम से सारी चीज़े हो जाए तो उसे टाइम मैनेजमेंट कहते है। लेकिन क्या इसका जवाब सिर्फ इतना ही है। मैं कहूंगा नही! ये इतना आसान नही है। टाइम को काबू कर पाना इतना आसान नही होता और इसका सबसे बड़ा दुश्मन होता है हमारा 'आलस'। एक उदहारण से आपको समझना होगा - मानिये आपका किसी रोज़ सुबह 8 बजे का इंटरव्यू है और आपका मानना है के आप उस इंटरव्यू के लिए बेस्ट कैंडिडेट है,और शायद आप है भी, क्योंकि आपने उस इंटरव्यू के हिसाब से काफी स्टडीज कर रखी है। आप रात को सारा अभ्यास कर पूरे विश्वास के साथ सुबह 6 बजे का अलार्म लगाकर सो जाते हो, किन्तु सुबह जैसे ही  6 बजे अलार्म बजता है तो आपका आलास आपके सामने आकर खड़ा हो जाता है और वो आपसे कहता है की अभी तो इंटरव्यू के लिए 2 घंटे बाकी है तो क्यों जल्दी उठना और आप उसकी बात मानकर वापिस सो जाते हो और इसी छोटीसी नींद मे आप अपने 2 घंटे के समय से आधा घंटा बर्बाद कर देते हो। सोने के बाद 6.30 बजे उठते ही आप हड़बड़ा जाते हो और कोशिश करते हो की आप जल्दी तैयार हो जाए, लेकिन आपको हमेशा की तरह 1 घंटा ही लगता है तैयार होने में, जिस वजह से आप अपने इंटरव्यू के लिए पूर्ण अभ्यास नही कर पाते, और सिर्फ बचे आधे घंटे के में आप अपने इंटरव्यू के आफिस पहोचने की कोशिश करते हो,जिसमे आप असफल हो जाते हो और 5 मिनिट देरी से पहोचते हो। अब ये 5 मीनट फैसला करते है की आपको इंटरव्यू देना चाइये या नही और आपको इंटरव्यू देने के लिए मना कर दिया जाता है। क्या ये 5 मिनिट इतने इम्पोर्टेन्ट थे ? तो मैं कहूंगा हा! ये बहोत इम्पोर्टेन्ट थे। मैंने कहा था की वक़्त किसी के लिए नही रुकता और इसीलिए वो 5 मिनिट का फायदा किसी औऱ कैंडिडेट मिल गया जो शायद आपसे ज़्यादा काबिल भी नही था, लेकिन उसने समय की कदर की और समय ने उसकी, और आपने आलस की कदर की और बदले में आपको मिली सिर्फ नाकामयाबी। इस उदहारण में आपकी काफी गलतियां थी जैसे पहला आपने अपने समय को सही तरीके से प्लान नही किया और ना ही इसका इस्तेमाल किया। दूसरा आपने देरी से उठने के बाद समय को बराबर प्लानिंग के साथ विभाजित नही किया जिससे आपका वक़्त बच सके। तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण अपने समय की इज़्ज़त नही की। ज़रा सोचिये आपकी बरसो की मेहनत सिर्फ 5 मिनिट के वजह से बर्बाद हो गयी। आप जो सफलता के काबिल थे उसे कोई और उड़ाकर ले गया क्या ये सही है? इसका जवाब आप शायद ज़्यादा अच्छा जानते है। आपको बस एक चीज़ करनी आनी चाइये और वो है सही टाइम मैनेजमेंट और सही प्लानिंग। यह एक छोटा सा उदहारण था और आप इसे अपने जीवन के कई किस्सो से जोड़ सकते है जहा आपकी देरी होने के वजह से अपने अच्छा अवसर खो दिया हो।

   
   
     
     
        प्लानिंग क्या है? प्लानिंग एक छोट सा नियम है जिसे आपको कोई भी कार्य करने के पहले बनाना पड़ता है और उसीपर कार्य कर वो कार्य पूर्ण करना पड़ता है, मानिये ये एक ब्रिज जैसा है जो आपकी सोच को आपके होने वाले कार्य से जोड़ता है। कई बार प्लानिंग फ़ेल भी हो सकती है, लेकिन इसकी एक खास बात है की ये के बार बनाई जा सकती है, क्योंकि ये आपके सोच से जन्म लेती है। एक प्लानिंग के साथ आप उसके फ़ेल होने के डर से कई और प्लान्स भी बना सकते है जैसे आपने कई बार सुना भी होगा की प्लान A काम नही आया तो प्लान B इस्तेमाल कीजिये। प्लानिंग की प्रोसेस यूनिवर्सल है ये पूरी दुनिया में की जाती है, तो यह आपका कार्य है की आप इसे सही तरीके से करे ताकि आपकी मंज़िल आपको जल्द से जल्द प्राप्त हो सके। टाइम मैनेजमेंट और प्लानिंग को समझने के बाद हम इसे कैसे इस्तेमाल कर सकते है। आइये कुछ टिप्स द्वारा सीखते और समझते है।

     
   
        हम सभी को तकलीफ होती है के हमारे पास टाइम कम होता है, और हम कम समय में ज़्यादा कार्य करना चाहते है, तो इसी समस्या से लड़ने के लिए मैंने नीचे कुछ टिप्स दिए है जो की 'ब्रायन ट्रेसी' की मशहूर किताब 'मास्टर योर टाइम मास्टर योर लाइफ' से लिए गए है जिससे आप अपना हर कार्य वक़्त पर कर सकते है और सफलता हासिल कर सकते है।

 1) दिन शुरू होने के पहले प्लान करना:
        इस टिप में आपको समझना होगा की आप दिन शुरू करने के पहले ही अपने सारे दिन का प्लान बना ले ताकि आपको पता रहे की आपको अगले सारा दिन क्या करना है। इसके लिए आप रात को सोने से पहले ही अपने मोबाइल नोट्स या डायरी में अपने अगले दिन का शेड्यूल लिख सकते है, ताकि आप उसी प्लानिंग के हिसाब से अपना अगला दिन का सारा काम आसानी से वक़्त पे कर सके और जिससे आपको सारी बाते भी याद रहे।

2) 80-20 नियम पर काम करना:
    परेटो प्रिंसीपल नाम से एक नियम है, जो कहता है की आपको 80% नतीजे आपके 20% काम से ही मिलते है, तो अगर आपको भी सफल होना है, तो आपको इस नियम के अनुसार चलना होगा। आपको कोशिश करना होगा की आप हर रोज अपने उन 20% कामो की लिस्ट बनाये जिस्से आपको 80% नतीजे हासिल हो और आप जब उन 20% कार्यो पर काम कर रहे हो तो उसपर अपनी 80% ऊर्जा और वक़्त लगाए ताकि आपको जल्द से जल्द सफलता हासिल हो और आपका समय भी बचे।

3)अपने कार्य को टाइम ब्लॉक्स में तैयार करना:
        दोस्तो आपके पास टाइम लिमिटेड है और अगर आप सारा टाइम किसी एक काम में ही दे दोगे तो शायद आपके दूसरे काम वक़्त पे नही हो पाएंगे, इसीलिए आप जब भी अपने कामो को लिस्ट बनायेगे तो उसके साथ ही हर कार्य के लिए एक टाइम ब्लॉक भी फिक्स कर दीजिये। कहने का मतलब ये है की अगर आपको दिन में 4 कार्य है और वो 4 कार्य आपके लिए महत्वपूर्ण है तो उसे आप टाइम ब्लॉक्स में डिवाइड कर दे, इससे आपको आसानी होगी। आपको जितनी मेहनत करना है करिये लेकिन अपने हर टाइम ब्लॉक को वक़्त पर खत्म करिये, इससे आप देखेगे की आप कैसे अपने हर कार्य वक़्त पर आसानी से कर पाएंगे।

4) काम से ख़ुदको थोड़ा ब्रेक देना:
          किसी काम को जादा अच्छे से करने के लिए के लिए जरूरी है के आप अपने काम से थोड़ा ब्रेक भी ले। ये ब्रेक आपके डेली और वीकली शेड्यूल में शामिल होना चाइये। अगर आप 2 घंटे काम करते है तो 15 मीनट का ब्रेक लेने में  कोई बुराई नही है, साथ ही आपको आपके वीक,मंथ और साल में भी ब्रेक लेना चाइये। इस ब्रेक को फन एक्टिविटी के रूप में एन्जॉय करना चाइये, ऐसा करने से आप अपने कार्य से कभी बोर नही होंगे और आपको आपके काम करने की ऊर्जा भी मिलती रहेगी।

5) वक़्त को पैसे की तरह खर्च करना:
        सबसे इम्पोर्टेन्ट टिप यही है के आप अपने वक़्त को पैसे की तरह खर्च करे। मानिये आपके पास 86400 रुपये है, और आपको ये पैसे खर्च करना है या फिर किसीको देना है, तो क्या आप बिना कुछ लिए ये पैसा किसी और को देदेगें। मैं जनता हु आप नही देगे, क्योंकि आप किसीको 100 रुपये भी देगे तो बदले में उससे 100 रुपये या उससे ज्यादा वैल्यू का कुछ सामान लेंगे, और ठिक उसी तरह आपको आपका वक़्त भी खर्च करना चाइये। आपके पास पूरे दिन में 86400 सेकण्ड्स होते है और अगर आप इन्हें पैसों की तरह समझेंगे और खर्च करेंगे तो मैं यकीन से कह सकता हु की आप कभी अपना समय फालतू बातो में खर्च नही करेंगे और आप अपने वक़्त का ज़्यादा से ज़्यादा इस्तेमाल करेंगे।
         दोस्तो ये 5 तरीके है तो बहोत आसान लेकिन यकीन से कह सकता हु की ये तरीके अपनाकर आप अपने जीवन को बदल सकते है और सफलता हासिल कर सकते है।
                                                            धन्यवाद!

अगर आपको मेरी पोस्ट पसंद आयी हो तो please शेयर कीजिये और कमेंट किजिये और फॉलो करना न भूले मैं आपको ऐसे रोचक बातो वाली पोस्ट देता रहूंगा मैं आपका दोस्त निष्कर्ष सिद्धार्थ ।
     
    

           

Tuesday, October 16, 2018

ज़िन्दगी मेरी TEACHER : इच्छाशक्ति और ध्यान

 
 
 हेलो दोस्तो ! मैं आपका दोस्त निष्कर्ष सिद्धार्थ! कैसे है आप सभी , मैं आशा करता हु अच्छे ही होंगे। हमने अपने पिछले पोस्ट्स में काफी अच्छे सिद्धांत समझे जो हमे हमारी टीचर ज़िन्दगी सीखना चाहती है, और आज हमे वह सबसे इंटरेस्टिंग पाठ सीखाने वाली है जो मेरा भी फेवरेट है और वह है "इच्छाशक्ति और ध्यान"। मुझे पता है आप सभी सोच रहे होंगे की इच्छाशक्ति और ध्यान में ऐसी क्या बात है जो समझना इतना ज़रूरी है, तो मैं कहना चाहूंगा यही ज़िन्दगी का सबसे ज़रूरी सबक है, क्योकी बिना इच्छाओ के इंसान तो इंसान ही नही है उसे तो शायद हम भगवान कहेंगे। अगर किसी मनुष्य में इच्छा ही ना हो किसी चीज़ को हासिल करने की तो वो शुरवात ही नही करेगा आगे बढ़ने की और इतिहास गवाह है इस बात का की अगर अपने काम में हमारी इच्छा प्रबल हो तो हम वह काम जल्द और बेहतर करते है। उदहारण के लिए हम अक्सर उन विषयो में ज़्यादा अच्छे अंक लेकर आते है जिन्हें हमे पड़ने की इच्छा होती है और इसलिए शायद हम उन विषयो पर फोकस भी कर पाते है, नाकि उन विषयो में जो हम ज़बरदस्ती पड़ते है, और इसीलिए हमे हमारे फेवरेट विषयो में अच्छे अंक मिलते है क्योंकि हमारी इच्छाशक्ति और ध्यान उन्हें हासिल करने में हमे प्रेरित करते है। जहा इच्छा होती है वही हमारा ध्यान या फोकस होता है।अगर हमे किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल करना है  तो सबसे पहले हमे उस सफलता को हासिल करने की तीव्र इच्छा होनी चाइये, अन्यथा वह सफलता हमे कभी प्राप्त नही होगी। 'लॉ ऑफ अट्रैक्शन' का सिद्धांत भी यही सिखाता है की आपकी इच्छा ही आपको प्रेरित करती है आपके मंज़िल तक पहोचने के लिए आपके विचारो को भी पोसिटिव बनाती है। तो आइये दोस्तो समझते है 'इच्छाशक्ति' और 'ध्यान' क्या है?


       आप एक बात समझ लिजिये अगर आप ढेर सारी दौलत कामना चाहते है तो आपमे एक चीज़ होनी चाइये और वह है अमीर बनने की प्रबल इच्छा। आपकी इच्छा ही  आपके अंदर किसी भी कार्य को पूरा करने और अपने लक्ष्य को हासिल करने की ऊर्जा उत्पन्न करती है। कुछ लोग विश्वास करते है की पैसो से ही पैसा कमाया जा सकता है, लेकिन क्या यह सत्य है? मैं कहूंगा नही ये सत्य नही है! अगर ये सत्य होता तो शायद ही कोई गरीब इंसान कभी अमीर भी बन पाता, शायद ही हम धीरू भाई अम्बानीजी को देख पाते या फिर बिलगेट्स जो इस दुनिया का सबसे अमीर इंसान है,क्योंकि शुरवाति दिनों में तो यह सफल लोग गरीब ही थे, इसलिए सबसे पहले हर इंसान को अपने मन से यह विश्वास  को निकलना पड़ेगा की पैसे से ही पैसा कमाया जा सकता है। आपको समझना होगा की प्रबल इच्छा ही पैसा कमाने का सबसे मूल और महत्वपूर्ण माध्यम है। प्रबल इच्छाशक्ति में वह बल होता है की वह सफलता को आमंत्रित कर सकती है और उसे आकर्षित कर आपको सफलता तौफे में दे सकती है। इतिहास के हर महान इंसान में वह इच्छा थी जिनसे उन्होंने सफलता के झंडे गाड़े और इतने महान बने है,क्योंकि वह इच्छाशक्ति का राज़ जानते थे। किन्तु इच्छाशक्ति को प्रबल बनाये रखना इतना भी आसान नही है,क्योंकि एक इंसान एक दिन में अपने मन में 60000 विचार उत्पन्न करता है और उनमे से आधी तो उसकी इच्छाएं ही होती है फिर ज़रा सोचिये की किसी एक इच्छा को वह कैसे प्रबल बना सकता है जबकि उसके पास इतने ऑप्शन और मौजूद हो, तो चिंता मत कीजिये ये चीज़ मुश्किल है नामुमकिन नही अगर होती तो कोई शायद इच्छाशक्ति को काबू नही कर पाता लेकिन कई लोगों ने इसे काबू कर दिखाया है और वह सफल भी बने है बस उसे ज़रूरत होती है अपने मैन को हराने की उसे अपना गुलाम बनाने की। हर वयक्ति को ज़रूरत होती है एक मार्ग की जिसपर वो चलकर सफलता हासिल कर सके, और यही मार्ग बनाती है आपकी इच्छा आपकी चाहत,बस आपको आपकी चाहत समझनी होती है और पूरे ध्यान से उसपर काम करना पड़ता है। आप जितना ध्यान लगाकर उस इच्छा पर काम करोगे सफलता उतनी ही जल्दी आपके नज़दीक होगी। फोकस करना मुश्किल है किन्तु इसपर सही तरीके से प्रैक्टिस की जाए तो यह भी आसान लगने लगता है। आपको शायद आपकी सफलता के रास्ते पर कितने ही लोग मिलेंगे जो आपसे कहेंगे 'आपसे ये नही हो सकता', आपको वह सतायेंगे, गाली देगे,आपको आपके रास्ते से भटकाएँगे, लेकिन अगर आपकी इच्छाशक्ति और ध्यान प्रबल है तो ये लोग आपको ना सुनाई देगे न दिखाई देंगे और यही इच्छाशक्ति और ध्यान की ताक़त होती है । अब प्र्शन आता है की हम कैसे अपने इच्छाशक्ति और ध्यान को प्रबल बनाये ? तो आइये जानते है।


       दोस्तो आप समझ ही गए होंगे की इच्छाशक्ति और ध्यान कितना ज़रूरी है लेकिन इसे काबू करना इतना आसान भी नही है,लेकिन इसपर सही तरीके से प्रैक्टिस की जाए तो काबू किया जा सकता है, बस आपको छोटे छोटे प्रयोग करना है। ये कोई बहोत बड़े महत्वपूर्ण कार्य नही है, लेकिन इसे करने से आप अपनी इच्छाशक्ति पर काबू कर सकते है। आज के इस दौर में सभी के पास मोबाइल फोन है और इसके बिना ज़िन्दगी अधूरी सी लगती है,लेकिन आप कभी इसके बगैर एक दिन रहकर दिखाईये,अगर सुबह उठना पसंद नही है तो सुबह हर रोज़ उठकर दिखाईये, अगर दारू या सिग्गरेट पिये बिना दिन नही गुज़रता तो उसे बिना पिये हफ़्तों निकाल के दिखाईये। अब मुझे पता है की आप क्या सोच रहे की इससे क्या होगा तो मैं कहूंगा साहब इससे आपका आवारा मन आपसे हारना शुरू करेगा और आप सिर्फ अपनी इच्छाओ के मालिक बन जाओगे, और मन यह बात समझ लेगा की मुझे जीना है तो इस इंसान की इच्छाओ के हिसाब से जीना पड़ेगा और वो कभी भी आपको गुमराह नही करेगा और आप सही तरीके से ध्यान लगा पाओगे। ध्यान लगाने के लिए एक सब से अच्छा तरीका है के आप ध्यान करना सीखे मतलब मैडिटेशन करना सीखे यह आसान है बस आपको रोज़ 10 मिनट प्रैक्टिस की ज़रूरत है और एक दिन आप इसमें महिर हो जाओगे और आपका फोकस अव्वल श्रेणी का होगा। शास्त्रो में भी लिखा है- "मन के साथ जीने वाला वयक्ति सदाक नही होता,बल्कि संकल्प के साथ जीने वाला वयक्ति सादक होता है। जिस दिन आप इन छोटे छोटे प्रयागों पर जीत हासिल कर लोगे उस दीन से आपका कॉन्फिडेंस भी काफी बड़ जाएगा और आप पूर्ण रूप से अपनी इच्छाशक्ति के मालिक बन जाओगे, और उस दिन आप खुदमे एक चीज़ पाओगे - ट्रांसफॉर्मेशन !
                                                               धन्यवाद!
अगर आपको मेरी पोस्ट पसंद आयी हो तो please शेयर कीजिये और कमेंट किजिये और फॉलो करना न भूले मैं आपको ऐसे रोचक बातो वाली पोस्ट देता रहूंगा मैं आपका दोस्त निष्कर्ष सिद्धार्थ ।
     
    

Sunday, October 7, 2018

ज़िन्दागी मेरी TEACHER : असफलता और कोशिश

      
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      हेलो दोस्तो ! मैं आपका दोस्त निष्कर्ष सिद्धार्थ! कैसे है आप सभी , बेशक अच्छे ही होंगे । दोस्तो हमने अपने पिछले कुछ posts में बेहद ज़रूरी बाते समझी जो हमे ज़िन्दगी में समझना बहोत ज़रूरी है और मैं आशा करता हु आपको मेरे posts पसंद आये होंगे, और आज के इस post में मैं एक ऐसी चीज़ आपको बताना चाहूंगा जो ज़िन्दगी हमे कभी न कभी तौफे में ज़रूर देती है और वो है "असफलता"। ज़िन्दगी मे असफलता कोई इंसान पसंद नही करता सबको इस असफलता से नफरत होती है लेकिन यह हमारे किस्मत के हिस्से में आ ही जाती है पर यकीन मानिये दोस्तो जो सबक आपको असफलता सीखा सकती है, शायद ही दुनिया की कोई किताब आपको वो सबक सिखायेगि। असफलता किसी भी प्रकार की हो सकती है किसीको को अपने काम में असफलता मिल सकती है, किसीको अपने रिश्तों में असफलता मिल सकती है, कोई वजन कम करने में असफल हो सकता है, तो कोई वजन बड़ाने में, लेकिन सबसे बड़ा धक्का इंसान को तब लगता है जब वो अपने सपनो को हासिल करने में असफल हो, यह पैरो के नीचे से ज़मीन निकलने वाली भावना जैसे होती है, और तब इंसान को समझ नही आता की वो आगे अब क्या करे, उसे लगता है उसके सारे रास्ते अब बंद हो चुके है और उसका जीवन अंधकार में है, लेकिन यकीन मानिये दोस्तो असफलता ही एक ऐसी चाबी है जो आपको अनेक रास्ते ढूंढने का हुनर प्रदान करती है, क्योंकि उसीके बाद हम सही कोशिश शुरू करते है आगे बढ़ने की। असफलता एक ऐसी नदी होती है जो आपको दो रास्ते देती है, या तो आपको कोशिश कर इसे तैरकर पार करना है, या फिर डूब जाना है, लेकिन इस दुनिया में ऐसे बहोत कम लोग है जो असफलता को स्वीकार करते है, और कोशिश कर नदी पार कर लेते है मतलब सफलता हासिल कर लेते है, और ऐसे इंसान ही मिसाल बन सकते है, और ज़िन्दगी में ये कुछ  भी हासिल कर सकते है। तो आइये जानते है जीवन में असफलता और कोशिश का क्या महत्व है जो हमे हमारी teacher ज़िन्दगी सीखना चाहती है।
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       असफलता क्या है ? आप कहेंगे 'हार' ! तो मैं कहूंगा नही असफलता हार नही है ये तो ज़िन्दगी का सबसे बड़ा सबक होता है जो शायद ज़िन्दगी हमे बार बार दे सकती है जब तक आप इससे कुछ सिख ना जाओ लेकिन यकीन मानिये दोस्तो असफलता जो सबक आपको दे सकती है वो दुनिया की कोई किताब नही दे सकती। असफलता ही सफलता की पहली सीड़ी होती है, यह पहला कदम होता है जो सफलता की ओर आपको ले जाता है, जिस तरह कोई शेर अपने शिकार को पकड़ने के लिए एक कदम पीछे लेकर छलांग लगता है उसी तरह असफलता भी हमारा पहला कदम होता है कोई फर्क नही पड़ता की वो पीछे की ओर है क्योंकी उसकी मंज़िल तो अंत में सफलता ही होती है बस ज़रूरत होती है की हम कोशिश कभी न छोडे। असफलता हमे एक ताक़त प्रदान करती है और वह है 'साहस' क्योंकि हम असफलता से अपनी गलतिया सिख लेते है जो की हमने अपने past में की होती है और उसी को समझकर हम future में गलतिया नही दोहराते जिस वजह से हम अपने आप सफलता की ओर बढ़ने लगते है और हमे कोई डर नही होता। बस आपको ज़रूरत है अपनी असफलता स्वीकारने की और आगे बढ़ने की। अपनी असफलता पर रोने वाले कभी कुछ नही कर सकते वो शायद ज़िन्दगी भर रोते ही रहेंगे और अपनी असफलताओ का दोष किसी ओर को देते रहेंगे, इसलिए कोशिश करनी चाइये अपने आप में बदलाव लाने की नाकि किसीको अपनी असफलताओ का ज़िम्मेदार ठेहराने की। असफलताओ के बाद गलतियों का पता लगता है बस उसे खत्म करे और आगे बड़े, क्योंकि शायद आप एक बार मैदान में हार भी जाओ तो वापस लड़कर जीत भी सकते हो लेकिन अगर आप अपने आंतरिक मन से ही हार जाओ तो कुछ नही हो सकता इसलिए प्रयास करना बहोत ज़रूरी है।
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       आपकी असफलता पर बेशक दुनिया हँसती होगी लेकिन आपको उन्हें अपनी असफलताओ की कोई सफाई नही देनी है, आपको बस सफलता की ओर बढ़ने की कोशिश करते रहना है, यकीन मानिये दोस्तो वक़्त उन्हें एक दिन आपकी सफलता का सबूत ज़रूर देगा। आपका हिम्मत ही आपका साथी है आपको बस कोशिश करते रहना है क्योंकि आपकी कोशिश ही आपको सफलता का रास्ता देगी भले ही इस रास्ते में कितनी ही असफलताएं क्यों न आये। रास्ते कितने भी कठीन हो बस बिना रुके चलिये क्या फर्क पड़ता है अगर गिर भी गए तो बस मंज़िल पाने की चाहत होनी चाइये। किसी महापुरुष ने कहा है "मेहनत कीजिये खामोशी से वक़्त आएगा जब आपकी सफलता शोर मचाएगी।"अगर आप कभी असफल हो भी गए और लगा की अब कुछ नही हो सकता तो एक चीज़ है जो हमेशा आपके काम आएगी और वो है आपकी सफल बनने की 'उम्मीद' जिसे अपको कभी खत्म नही होने देना है और यही आपको ताक़त देगी कोशिश करने की आपको सफल बनाने की और आप ही बताइये इससे अच्छा क्या तरीका हो सकता है ज़िन्दगी जीने का क्योंकि असफलता का डर ही नही होगा अगर हमारे पास होगि उम्मीद। स्वामी विवेकानंदजी से एक बार किसी वयक्ति ने सवाल पूछा की अगर कोई व्यक्ति अपना सब कुछ खो दे तो उसके जीवन में उससे बडी बर्बादी क्या होगी तब स्वामीजी ने जवाब दिया- "अगर वही वयक्ति उम्मीद खो दे उन चीज़ों को दोबारा हासिल करने की।"कहने का मतलब ये है की हमे कभी भी असफलता से निराश होकर बैठना नही चाइये बल्कि उससे सकब लेकर निरंतर प्रयास करना चाइये। उदहारण: एल्बर्ट आइंस्टाइन विश्व के एक महान वैज्ञानिक माने जाते है लेकिन क्या आपको पता है वो कितनी ही असफलताओ से झुझकर इतने महान बने है क्योंकि उन्होंने सिर्फ दो चीज़े नही छोड़ी और वह है उम्मीद और कोशिश ।
                                                         धन्यवाद!  
   अगर आपको मेरी पोस्ट पसंद आयी हो तो please  share करे और comment करे और ऐसे ही जानकारी के लिए suscribe करिये और मेरी पहले की पोस्ट भी पढ़िये ये आपके जीवन में एक नई उम्मीद जगाएगी।

Friday, September 28, 2018

ज़िन्दगी मेरी TEACHER : ज्ञान और लक्ष्य

     
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         हेलो दोस्तो ! कैसे है आप सभी ? मुझे पता है अच्छे ही होंगे। दोस्तों हमने अपने पिछले blogs में जाना अनुशासन और समर्पण के बारे और जाना सोच और डर के बारे में की किस तरह ज़िन्दगी हमे ये चीज़े सिखाती है अगर आपने वो blogs नही पढ़ा है तो please उसपर भी एक बार नज़र डालिये। तो दोस्तों आज हम जानेंगे की ज़िन्दगी में 'ज्ञान' और 'लक्ष्य' का कितना महत्व होता है और ज़िन्दगी इसका महत्व हमे किस तरह सिखाती है ,यह दोनों चीज़े भले ही अलग हो पर इनका एक दूसरे के साथ काफी गहरा संबंध है। ज़िन्दगी में सफलता हासिल करने के लिए हम क्या कुछ नही करते मेहनत करते है, अनुशाषित भी हो जाते है, सोच भी बड़ी रखते है और अपना सबकुछ समर्पित भी कर देते है, लेकिन क्या होगा अगर हम अपनी सारि ऊर्जा एक ऐसे रास्ते पर खर्च कर रहे है जिसका हमे ज्ञान ही न हो, जिसके मंज़िल के बारे में हमे पता ही ना हो तो ज़रा सोचो क्या होगा ? मैं जनता हु क्या होगा - बस समय की बर्बादी होगी और हमे कुछ हासिल नही होगा और फिर क्या हम इसका दोष किस्मत को देदेगें और ज़िन्दगी से हार जायेगे, लेकिन क्या ये सही है ? मैं कहूंगा नही! यह सही नही है। हमे इसका कारण जानना चाइये और वह कारण क्या है, की इतनी ऊर्जा खर्च करने पर भी सफलता नही मिल रही है, तो मैं कहूंगा वो है आपका 'अधूरा ज्ञान' और 'अधूरा लक्ष्य'। अब्दुल कलाम जी ने बहोत बढ़िया बात कही है - "ज्ञान ही एक ऐसी चीज़ है जो आपको महान बनाती है।" ज्ञान ही एक ऐसी संपत्ति है जिसकी शुरवात तो है लेकिन अंत नही वो क्योंकि वो असीम है आसमान की तरह। अगर किसी field का आपको विशिष्ट ज्ञान हो तो आप अपना लक्ष्य निर्धारित कर सकते हो, यह काफी आसान फार्मूला है लेकिन इसे न जाने क्यों लोगो को समझने में इतना वक़्त लग जाता है - { ज्ञान = लक्ष्य = सफलता }। तो आइए जानते है 'ज्ञान' और 'लक्ष्य' के बारे मे की क्यों ये ज़िन्दगी में इतना महत्वपूर्ण है ।
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        शास्त्रो में लिखा है मनुष्यो और जानवरों को अगर कोई चीज़ अलग करती है तो वो है मनुष्यो के पास होने वाला ज्ञान, क्योंकि  नींद, भोजन, भोग और भय तो जानवरो के द्वारा भी की जानेवाली प्रक्रियाये है, लेकिन उनके पास सिर्फ एक चीज़ का अभाव होता है और वो है मनुष्यों की तरह ज्ञान। अब मैं सोचता हु ज्ञान क्या है ? तो ज्ञान के बारे में कुछ लोग कहते है की जो हमे किताबो से प्राप्त होता है जो हमे हमारे गुरु सिखाते है वो ज्ञान होता है। ये कुछ मायनो में सही भी है,लेकिन पूरी तरह से से नही क्योंकि असली ज्ञान की प्राप्ति तो हमे हमारे अनुभव से होती है, ज़िन्दगी से होती है इसीलिए ज्ञान को अनंत कहा गया है क्योंकि एक दिन ज़िन्दगी खत्म हो जाती है लेकिन ज्ञान नही । ज्ञान एक ऐसा हथियार है जो मनुष्य के साथ ज़िन्दगी भर होता है इसलिए शायद दुनिया आपसे सब कुछ छीन भी ले तो भी ज्ञान नही छीन सकती क्योंकि ये आंतरिक होता है,शायद यही कारण है की माता पिता हमे शिक्षण पूरा करने के लिए इतना जोर देते है, जरा सोचिये आपके पास सब कुछ है धन दौलत ,शोहरत सब कुछ लेकिन सही ज्ञान नही है उसे संभालने का तो एक दिन आयेगा जब आप सबकुछ खो दोगे,क्योंकि दुनिया बड़ी ज़ालिम है दोस्तो ये आपको लूटने में समय नही लगाएगी। उदहारण; एक अमीर आदमी के 2 पुत्र होते है राम और श्याम और वे दोनों पिता के लाडले भी होते है। राम को शिक्षण हासिल करने का बहोत शौक होता है,और श्याम सिर्फ मस्ती में ही अपना दिन बिताता है। राम अपनी  degree भी पूरी कर लेता और श्याम उसपर हस्ते हुए कहता है की हमारे पास तो इतना पैसा है तो पढ़ने की क्या ज़रूरत है? और राम उसे कभी कोई जवाब नही देता ,एक दिन उनके पिता गुज़र जाते है और उनके नाम अपनी सारि दौलत को आधा आधा बाँट देते है,राम पढ़ा लिखा होता है वो अपनी दौलत का सही इस्तेमाल कर उसे और ज़्यादा बड़ा लेता है लेकिन श्याम सिर्फ अपनी दौलत उड़ाता रहता है। एक दिन श्याम की सारी दौलत खत्म हो जाती है और वो परेशान होकर राम के पास आता है और उससे पूछता है की राम मेरा तो सब धन खत्म हो गया लेकिन तुम्हारे पास और अधिक धन कैसे आ गया,तब राम उसे जवाब देता है - भय्या आप हमेशा मुझसे एक सवाल करते थे की तुम पढ़ाई में इतनी मेहनत क्यों करते हो तो इसका जवाब आज देता हु  और इसका जवाब है मेरी आज की परिस्थिति जो आप जैसी नही है और श्याम शर्म से अपना सिर झुका लेता है। तो इस उदहारण से आप समझ ही गए होंगे की ज्ञान का अभाव आपसे बहोत कुछ छीन भी सकता है या फिर कभी कुछ हासिल नही होने देता, इसलिए ज्ञान इतना महत्वपूर्ण है। ज्ञान 2 प्रकार के होते है - ◆सामान्य ज्ञान ◆विशिष्ट ज्ञान। सामान्य ज्ञान हमे हमारे माता पिता और गुरुओ से मिल जाता है जो की काफी ज़रूरी है , परंतु विशिष्ट ज्ञान हमे अपने अनुभवों से स्वयं हासिल करना पड़ता है जो की आपको सफल बनाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि विशिष्ट ज्ञान ही आपको सही लक्ष्य ढूंढने में मदद करता है, और आपकी मंज़िल को रास्ता देता है। अगर आपके पास विशिष्ट ज्ञान का अभाव है तो आज ही फैसला ले आवश्यक ज्ञान हासिल करने का और जब ज्ञान हासिल हो जाए तो अपने लिए सही लक्ष्य निश्चित कीजिये और योजना बनाइये उसे हासिल करने का, अगर आप अपने field में  काम करोगे तो खुश भी रहोगे । विशिष्ट ज्ञान अपके विचारो को मूल्यवान बनाता है और दुनिया उन्हें महान कहती है जिनके विचार मूल्यवान हो । अब मैं सोचता हु ज्ञान क्यों ज़रूरी है - आप मानो या न मानो दोस्तो इंसान अपनी औकात के हिसाब से ही पैसे कमाता है, बहोत लोग नाराज़ होते है के वो ज़्यादा पैसे नही कमाते और ये सोचकर वो और मेहनत करते है,लेकिन यहा वो सबसे बडी गलती करते है, उन्हें मेहनत बढ़ाने से अच्छा खुदकी value बढ़ानी चाइये क्योंकि 24 घंटे के दिन में आप 25 घंटे काम नही कर सकते है लेकिन अपनी value बढ़ाकर अपनी salary ज़रूर बढ़ा सकते हो, और दोस्तो आप सभी जानते है हमारी value बढ़ती है हमारे हासिल ज्ञान से हमारे सोचने की ताक़त से। एक ही आफिस में लोग 8 घंटे काम करते है लेकिन सभी की salary में फर्क होता है क्योंकि किसीको 20 हजार मिलते है तो किसीको 1 लाख ऐसा इसलिए होता है की उन सबकी value में फर्क होता है उनका सबका अलग ज्ञान होता है जिसके आधार पर उन्हें उनकी salary मिलती है और इसलिए ज्ञान इतना ज़रूरी है। किताबे पढ़े खुदको devlope करे और असीम ज्ञान हासिल करे ताकि आपकी वैल्यू खुद बढ़ जाए और पैसा खुद आपके पास चलके आये । ज्ञान सबसे श्रेष्ट है और यही आपको आपके जीवन का लक्ष्य और सफलता हासिल करता है ।
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        लक्ष्य क्या है? लक्ष्य एक मार्ग है जो आपको आपके मंज़िल को पाने में बहोत मदद करता है, आपमे से कितने ही लोग होंगे जो रोज़ एक नया लक्ष्य लेकर घर से निकलते है, जो की काफी प्रशंसक बात है लेकिन कितने ही लोग है इस दुनिया में जो बिना लक्ष्य के आज भी जीवन बिता रहे है जो की काफी डरने वाली बात है। लक्ष्य कुछ भी हो सकता है किसी student के लिए 90% लाना लक्ष्य हो सकता है या फिर किसी employee के लिए अच्छा performence देना एक लक्ष्य हो सकता है। जिसने अपने ज़िन्दगी में लक्ष्य को महत्व दिया उसे ज़िन्दगी महत्व देती है। ज़रा सोचिये अगर हमे पता है के हमे कहा जाना है तो हम शायद वहा जल्द पहोच सकते है लेकिन अगर हमे पता ही न हो की हमे जाना कहा है तो शायद हम भटक जायेगे उसी तरह ज़िन्दगी में अगर कोई लक्ष्य न हो तो शायद हम ज़िन्दगी की सफलता से भटक जायेगे और हमारी teacher ज़िन्दगी ये कभी नही चाहती। हर किसीके पास सीमित ऊर्जा और समय होता है, और अगर हम इस ऊर्जा और समय को सही लक्ष्य को पाने में लगाए तो हमे हमारी सफलता ज़रूर मिलेगी। हर वयक्ति का एक specific लक्ष्य होना चाइये वो बड़ा हो या छोटा फर्क नही पड़ता बस वो specific होना चाइये, उदहारण के लिए अगर कोई वयक्ति किसी ट्रैन स्टेशन पर टिकट लेने जाए और वहा उससे पूछा जाए की आपको कहा जाना है और वो वयक्ति कहे मुझे नही पता कही भी ले चलो तो उस वयक्ति का क्या होगा ज़रा सोचिये ? न तो वो कोई मंज़िल तक पहोच पायेगा ,समय की बर्बादी अलग होगी और दुनिया उसपर हँसेगी अलग,लेकिन अगर उसे पता है की उसका destination क्या है तो वो एक समय के बाद अपनी मंज़िल पर पहोच ही जाएगा, वैसे ही हमारी ज़िन्दगी में होता है की हमे हमारा लक्ष्य अगर सही पता हो तो हम भी मेहनत कर एक दिन वहा पहोच ही जाते है जहा हमे पहोचना है। बहोत लोग होते है जो काफी ऊर्जावान और उत्साहित होते है लेकिन उनके पास कोई लक्ष्य ही नही होता तो आप ही बताइये ऐसे उत्साह और ऊर्जा का कोई मतलब होगा? मैं कहता हु नही ! हर इंसान के पास लक्ष्य होना ही चाइये और उन्हें अपनी ऊर्जा वही खर्च करनी चाइये। तो आज से  ही दोस्तो आप भी ठान ले की रोज़ छोटे छोटे लक्ष्य बनायेगे और  उन्हें पूरा कर एक दिन बड़ी मंज़िल हासिल करेंगे !
                                                                                                                              धन्यवाद !
अगर आपको मेरी पोस्ट पसंद आयी हो तो please शेयर कीजिये और कमेंट किजिये और फॉलो करना न भूले मैं आपको ऐसे रोचक बातो वाली पोस्ट देता रहूंगा मैं आपका दोस्त निष्कर्ष सिद्धार्थ ।
            
        

Friday, September 21, 2018

ज़िन्दगी मेरी TEACHER : सोच और डर



        हेलो दोस्तो! मैं आपका दोस्त निष्कर्ष सिद्धार्थ!कैसे आप सभी ? बेशक अच्छे ही होंगे! तो दोस्तो हमारे पिछले ब्लॉग में हमने जाना के ज़िन्दगी हमे किस तरह अनुशाशन और समर्पण सीखना चाहति है और अगर हम इस चीज़ को ना समझ पाए तो किस तरह ये हमे सबक सिखाती है, और एक दिन सही रास्ते पर लाकर खड़ा कर देती है। मैं आशा करता हु आप समझ ही चुके होंगे की अनुशासन और समर्पण कितना ज़रूरी होता है जिंदगी में। तो चलिये हम आगे बढ़ते है।
         दोस्तो अब हम देखेंगे की ज़िन्दगी में 'सोच' और 'डर' का कितना महत्व होता है और ज़िन्दगी हमे इन दोनों शब्दो को लेकर क्या सीखना चाहती है। हम सब ने देखा है इस दुनिया में सभी कुछ न कुछ बड़ा हासिल करना चाहतें है, जो की काफी अच्छी बात है, लेकिन क्या हम इस बड़ी चीज़ को हासिल करने के लिए सही रास्ता चुनते है ? मैं जनता हु आपमे से अधिकतर लोग सोचते है की 'हाँ' हम सब सही रास्ता चुनते है और मेहनत भी करते है और आपका जवाब भी होगा "हाँ", लेकिन क्या उस सवाल के बाद अगर मैं सवाल पुछू की क्या आप सभी उस बड़ी चीज़ को हासिल कर लेते है जो आप चाहते हो? तो आपमे से अधिकतर लोगों का जवाब होगा "नही" ! तो फिर इसका क्या कारण हो सकता है, ज़रा इसपर गौर करते है - हम अक्सर जब अपनी ज़िन्दगी में  जब बड़ा बनने का रास्ता ढूंढते है तो हमे तलाश होती है ऐसे रास्ते की जो हमे हमारी मंज़िल तक ले जा सके, और इस तलाश में हम एक ऐसा रास्ता चुन लेते है जिसपे सारि दुनिया चलती है 'डर' का रास्ता, ख़ुदको सुरक्षित रखने का रास्ता, जैसा दुनिया सोच रही है वैसा सोचने का रास्ता ताकि हमे हार का सामना न करना पड़े और उसके बाद ज़िन्दगी के आखरी मोड़ पर हम सिर्फ एक आम आदमी बनकर रह जाते है, इसका सबसे बड़ा कारण है की हम हार के डर के साये में अपनी पूरी ज़िन्दगी निकाल देते है और अपनी सोच को उड़ान के पंख नही देते और बड़ा सोचने की कोशिश नही करते, तो ज़रा सोचिये कैसे हम वो बड़ी चीज़ हासिल कर पाएंगे जो हम चाहते है। क्या आप जानते है दुनिया में सिर्फ 1℅ लोग ही है जो कामयाब है जिन्हें दुनिया का सुख मिला है, और 99℅ लोग सिर्फ आम ज़िन्दगी जी रहे है, यह 1% लोगो की क्या सिर्फ किस्मत अच्छी होती है ? नही ! यह सिर्फ इसलिये सुखी है, क्योंकि यह 1% लोग वो सोचते है जो किसीने नही सोचा, ये लोग वो बनाते है जो किसीने नही बनाया, ये खुद से सवाल करते है नाकि दुनिया से इसीलिए ये इतिहास रचते है और बड़ी सफलता हासिल करते है और बाकी 99℅ लोगों को क्या मिलता है एक अधूरी ज़िन्दगी, क्योंकि इनमे कुछ अलग सोचने की ताक़त नही होती।  
         सोच क्या है? ये एक बहोत ही ताक़तवर चीज़ है जो आपको कामयाबी का रास्ता दिखाती है अगर ये सोच बड़ी हो तो, और इसे हम follow भी करते हो तो, लेकिन हमारी इस दुनिया में सोच का जन्म ही गलत तरीके से होता है जो की हमे हमारे माता पिता , शिक्षक और दोस्तो से मिलती है। हमारे माता पिता और हमारे शिक्षक हमे बचपन से ही सिखाते है की बेटा खूब पढ़ाई करो ख़ूब मेहनत करो ताकि तूम्हे एक अच्छी नौकरी मिल सके और तुम अपना पेट पाल सको। मतलब हमे हमारी आजीविका के लिए program किया जाता है, हमारी सोच को छोटा बना दिया जाता है जिसका मतलब ये होता है के हम सिर्फ जितना ज़रूरत हो उतना कमाए और अगर इसका विरोध करते हुए आप यह कह दे की नही मुझे तो बड़ा इंसान बनना है नौकरी नही करनी तो सब आपका मज़ाक बनाते है, और फिर आप एक दिन हारकर दुनिया का सुन लेते हो और वही करते हो जो 99℅ लोग कर रहे है,क्या सोच का डर इतना ताक़तवर होता है ? तो मैं कहूंगा हा । इसके लिए मैं आपको एक मशहूर उदहारण देना चाहूँगा की सोच ईतनी बलवान क्यों है - एक भैसों के तबेले में एक भैस का बच्चा होता है जिसे उसका मालिक एक लकड़ी के खुटे से बांधकर रखता है और उसे वही चारा देता है, भैस का बच्चा रोज़ कोशिश करता है उस खुटे से आज़ाद होने की लेकिन रोज़ असफल हो जाता है क्योंकि उस बच्चे में बल थोड़ा काम होता है और एक दिन ऐसा आता है की वह हिम्मत हार जाता है और सोच लेता है की वह उस खुटे का कुछ नही बिगाड़ सकता और अपने दिमाग में यह program डाल देता है, लेकिन जब वक़्त घुज़रता है और वो भैसे का बच्चा बड़ा हो जाता है और उसमे असीम शक्ति आ जाती है तब भी वह उस खुटे का कुछ नही बिगाड़ पाता और सारि ज़िन्दगी उसी खुटे से बंधा होता है । क्या आप इसका जवाब दे सकते है ऐसा क्यों होता है ? इसका जवाब यह की वो भैसा जब बचपन में अपने दिमाग में सोच लेता है और Program डाल देता है की वह उस खुटे का कुछ नही बिगाड़ सकता और यही program उसे याद दिलाता रहता है की उस खुटे का वो कुछ नही बिगाड़ सकता , जिस वजह से उसके बाद वो कभी कोशिश ही नही करता उससे आज़ाद होने की। ये एक हँसने वाली बात है की इतना ताक़तवर भैसा उस छोटी सी लकड़ी का कुछ नही कर पाता जबकि वो चाहे तो लकड़ी क्या पूरा तबेला हिला सकता है,लेकिन मैं चुनौती देता हूं उस भैसे के मालिक को की वो एक जंगली भैसे को गुलाम बनाकर दिखाए वो ऐसा कर ही नही सकता क्योंकि जंगली भैसा अपनी सोच में आज़ाद होता है उसे कोई गुलाम नही बना सकता। वैसे ही हम भी अपनी ज़िन्दगी में एक खुटे से बंधे होते है और अपनी सोच को बदलते नही, बड़ा नही बनाते। जब तक आप अपने दिमाग का program नही तोड़ोगे और बड़ा नही सोचोगे तो कुछ नही हो सकता इसीलिए सोचो डरो मत, क्योंकि जिस दिन आप डर से आगे निकल कर सोचोगे उस दिन से नए रास्ते खुलेंगे, अपनी काबिलियत को पहचानोगे और फिर इतना कमाओगे की यकीन नही होगा ।
गुलाम भैसा और जंगली भैसा

        डर क्या है? यह एक बहोत ही खोकला शब्द है जो आपको ज़िन्दगी भर बांध के रखता है, लेकिन इसको ताक़तवर भी आप लोग ही बनाते हो इसे अपनाकर, ये आपकी सोच की उड़ान को रोकने का सबसे बड़ा कारण होता है, एक सेमिनार में सुना उधारण देना चाहूंगा - एक बार एक कौवी के घोसले में एक बाज़ का अंडा गिर जाता है और कौवी उसे अपना अंडा समझ के रख भी लेती है वक़्त के साथ उसमे से बच्चे निकलते है जिसमे से एक बच्चा बाज़ का होता है लेकिन कौवी उसे अपना बच्चा समझके पालती है और जब वो बच्चे उड़ना सीखते है तब उसमे से बाज़ का बच्चा थोड़ा ऊपर उड़ता है क्योंकि वो एक बाज़ होता है लेकिन कौवी उस बाज़ के बच्चे को ऊपर उड़ने से मना करती है ये कहकर की बेटा हम इतने ऊपर नही उड़ते इससे गिरने का डर होता है और बाज़ का बच्चा कौवी की बात मानकर ज़िन्दगी भर नीचे ही उड़ता है जबकि उसके पास असीम ताक़त होती ही आसमान को छूने की , ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उसके मन में वो डर बैठ जाता है ।और सही माइनो में हम भी ऐसे ही डर में जीते है और काबिलियत होने के बाद भी ज़िन्दगी भर कुछ बड़ा नही कर पाते। यकीन मानिये दोस्तो हम भी उसी बाज़ के बच्चे है जो आसमान को छूने की ताक़त रखते है और चु भी सकते है, लेकिन कोशिश न करने की वजह से हम भी आसमान नही छु पाते। बस दम रखो अपनी सोच में और डर को खत्म करो और आगे बड़ो, नौकरी पाने के लिए नही बल्कि नौकरी देने के लिए ख़ुदको program करो ।

नीचे उड़ता कौआ और आसमान छूता बाज़

         तूम्हे चुनना है की तुम क्या हो - छोटी सोच वाला शेर जो circus में काम करता है, या बुलंद सोच वाला शेर जो जंगल पर राज करता है ।
सर्कस का शेर और जंगल का राजा शेर


नज़र को बदलो तो नज़ारे बदल जाते है 
सोच को बदलो तो सितारे बदल जाते है 
कश्तियां बदलने की ज़रूरत नही
दिशा बदलो तो किनारे खुद ब खुद बदल जाते है ! 
                                                     
                                                         धन्यावाद........!

 बड़ी सोचकर अपनाकर और अपना डर भागकर सफल बनने वाले वयक्ति :
 1) धीरू भाई अम्बानी
 2) नवाज़ुद्दीन सिद्धिकी
 3) सिकंदर महान      
                  
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Tuesday, September 18, 2018

ज़िन्दगी मेरी TEACHER : अनुशासन और समर्पण

                 
   


      
          Hello दोस्तो ! मैं आपका दोस्त निष्कर्ष सिद्धार्थ! कैसे है आप सभी , बेशक अच्छे ही होंगे। पिछले post में हमने जाना के ज़िन्दगी क्या है और ये हमे वक़्त के साथ कुछ सबक देती ही रहती है, इसीलिए हमने इसे हमारा teacher माना है कहने का मतलब ये है की कही ना कही ज़िन्दगी हमे हर समय कुछ न कुछ सिखाती रहती है जो हमारे जीवन को एक नही परिभाषा देती है। ज़रा सोचिए अगर हमारी ज़िन्दगी एक ही तरीके से चलती रही जैसे हमारे हाथो की घड़ी चलती है तो क्या इसे जीने में मज़ा आएगा या फिर कभी ऐसी ज़िन्दगी किसी इंसान के लिए मिसाल के लायक बन सकती है , मुझे नही लगता क्योंकि ये तो एक हँसने वाली बात हो जाएगी, इसका मतलब ये है की जीवन में 'change' बहोत ज़रूरी है। लेकिन क्या change इतने जल्दी आता है ? अगर हम खुदको बदलना चाहे तो क्या पलक झपकाते ही बदल सकते है? तो मैं कहूंगा नही! ये तो एक नामुमकिन बात है, और हमे ऐसी कोशिश भी नही करनी चाइये, तो फिर क्या करना चाइये ? हमे सही रास्ता चुनना चाइये क्योंकि इंसान सुखी हो या फिर दुखी , अमीर हो चाहे गरीब उसे ख़ुदको एक वक़्त पर आकर तो बदलना ही पड़ता है, उदहारण के लिए कहा जाए  तो बचपन में हम जो गलती करते  है उसे दुनिया नादानी कहती है, लेकिन अगर वही गलती हम जवानी में करे तो यही दुनिया उसे गलती कहती है, इसलिए जीवन में परिवर्तन कितना ज़रूरी हैं ये तो आप समझ ही गए होंगे और शायद यही कारण है हर इंसान वक़्त के साथ ख़ुदको बदलता है, ख़ुदको सभ्य बनाता है वरना ये दुनिया हमे स्वीकार नही करेगी,जैसे शादी से पहेल इंसान कुछ औऱ होता है और शादी के बाद कुछ और ।वो दोनों परिस्थितियों में समान वयवहार नही रख सकता। ये छोटे उदहारण है सिर्फ़ बताने के लिए परिवर्तन कितना ज़रूरी है और ऐसा ही परिवर्तन तब भी ज़रूरी है जब सफलता हासिल करना हो या तब भी जब ज़िन्दगी में कुछ सही नही चल रहा हो , पर क्या change लाना इतना आसान है? तो मैं कहूंगा नही ! ये इतना आसान नही है चाहे वो किसी भी feild में हो मेरा मतलब है आंतरिक(internal) या फिर बाहरी(external) वैवहार में। मान के चलिये अगर आप किसी GYM में जाते हो तो क्या आपकी body तुरंत बन जाती है , शायद ही कोई होगा ऐसा होगा, लेकिन मेरे खयाल से तो कोई नही होगा। लेकिन अगर आप मन लगाकर पुरे विश्वास  से GYM में मेहनत करोगे तो आपको शायद आपके body में कुछ changes दिखगे और एक दिन आपकी body भी बन जाएगी,लेकिन इसके लिए वक़्त तो लगता है लेकिन क्या आप जानते है ऐसे मेहनत के लिए कौनसी चीज़ों का होना ज़रूरी है ? तो दोस्तो वो है 'अनुशासन (discipiln)'और'समर्पण (dedication) जो की ज़िन्दगी का सबसे पहला और महत्वपूर्ण सबक है, इसीलिए शायद बच्चो की school सुबह सुबह होती है ताकि वो अनुशासन सिख सके। अनुशासन और समर्पण कहने को तो बहोत आसान लगते है, पर इसे ज़िन्दगी में शामिल करना बहोत मुश्किल होता है, लेकिन एक बार इसे जिसने अपने ज़िन्दगी में शामिल कर लिया सफलता के दरवाज़े उसके लिए खुल जाते है । तो क्या है अनुशासन और समर्पण  आइये जानते है ।


         
         आज के इस ज़माने में जिसे हम 'digital world' भी कहते है,जो की कहने को तो काफी है smart और advance है जो की शायद सच भी है, और ये दुनिया को तरक़्क़ी भी दे रहा है, लेकिन क्या ये सच नही है के ये लोगो को बहोत आलसी भी बना रहा है, हर कोई अपना काम आज घर बैठे ही कर लेता है कुछ महान लोग तो बिस्तर भी नही छोड़ते जो की आलस को बढ़ावा देता है। ना यहाँ किसीको सुबह उठने की परवाह है ना किसीको रात को जल्दी सोने की यहाँ सब लगे है अपने online schedule में। आप ही बताइये ये सही है? मैं कहूंगा ये बिल्कुल सही नही है। मैं ये इसलिए कह सकता हु क्योंकि मैंने इस चीज़ को खुद कही आज़माया है और महसूस किया है। आलस आपके passion को खत्म करता है। लेकिन शुक्र मानिये दोस्तो हमारी teacher ज़िन्दगी ऐसा ज़्यादा दिनों तक सहन नही करती और वो हमे कभी न कभी ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर देती है जहा हमे सब बर्बाद होते हुए दिखता है और तब हम ये सोचते है की ' मैन तो अभी शुरवात ही की थी ज़िन्दगी की ' और ज़िन्दगी ने मेरे साथ ये क्या कर दिया और हार मानकर बैठ जाते है। लेकिन इसके पीछे क्या कारण हो सकता है ये कोई नही सोचता, तो मैं कहूंगा अनुशासन और समर्पण का ना होना इसका सबसे बड़ा कारण है, क्योंकि अनुशासन से ही इंसान में passion बढ़ता है और passion को पूरा समर्पण दिया जाए तो उसे असली मेहनत कहते है जो आपको कभी ना कभी कोई ना कोई मुकाम तक ज़रूर लेकर जाती है। ये जिन्दगी का उसूल है कुछ पाना है तो कुछ खोना पड़ेगा ही, कहने का मतलब है अनुशाशन और समर्पण काफी ज़रूरी है सफलता और एक अच्छा result पाने के लिए । जितना आप ज़िन्दागी को दोगे, ज़िन्दगी उतना ही आप पर लुटायेगी, क्योंकि दोस्तो " ज़िन्दगी हमे वो नही देती जो हम चाहते है, ज़िन्दगी हमे वो देती है जिसके हम लायक होते है।"ये एक सरल formula है {discipline + dedication = success}

            दोस्तो क्या आप जानते है अनुशासन में रहना कितना मुश्किल है? शायद नही ! तो एक बार कोशिश कीजिये समझ जाओगे, अनुशासन से एक बार कोशिश कीजिये सूरज से पहले उठने की चाहे आप कितना ही देर से क्यों ना सोते हो, कोशिश कीजिये मुश्किल रास्तो पर चलने की जबकि आपके पास सरल रास्तो का विकल्प हो,कोशिश कीजिये मजबूत बनने की जहा सब कमज़ोरी बता रहे हो, कोशिश कीजिये 20 कदम चलने की जहा लोग 10 कदम भी न चल पा रहे हो, कोशिश कीजिये आगे बढ़ने की जब आपमे आगे बढ़ने की हिम्मत ख़त्म हो जाए। ये काफी मुश्किल लगता है पर नामुमकिन नही ये सब चीज़े आप तब कर सकते हो जब  आपमे भरपूर अनुशासन हो और समर्पण की भावना हो।आपको पता है सपना हर कोई देखता है उसके लिए कुछ मेहनत भी कर लेता है लेकिन कुछ हार के बाद और जल्द कोई result ना मिला तो वो जल्दी निराश होकर हिम्मत हार जाता है और अपना सपना छोड़ देता है। ऐसा क्यों होता है? क्योंकि सपना जितना वो deserve ही नही करता,क्योंकि जीतना वो deserve करता है जो मेहनत पर विश्वास रखता हो और जिसे त्याग करने की आदत हो,जो अपना सबकुछ समर्पित करने को तैयार रहता हो जो अपने लक्ष्य के लिए रात दिन सोता ना हो वही अपना सपना हासिल कर सकता है और ये सिर्फ अनुशासन और समर्पण ही आपको सीखा सकता है। इन 2 चीज़ों का ना अपनाया तो आप कुछ हासिल नही कर सकते। बड़ी सफलता बड़ी मेहनत और बड़ी struggle का नाम है, आपको आपके 'comfort zone' से निकलना ही होगा। एक उदहारण पढ़ा था कही तो वो देना चाहूंगा - चीन में एक मशहूर tree है जिसे सब 'chinees bamboo tree' कहते है जो की मशहूर है अपने growth period( वृद्धी का समय )के लिए क्योंकि इस ट्री को बड़ा होने के लिए 5 साल लगते है, हैना ये एक आश्चर्यजनक बात, लेकिन जब ये 5 साल के बाद बढ़ना शुरू करता ही तो सिर्फ 6 हफ़्तों में ही 90 फुट तक ऊँचा हो जाता है जो एक की एक चौकाने वाली बात है, इसीलिए यह इतना मशहूर ट्री है और सभी इसे देखना पसंद करते है , लेकिन इस ट्री के बारे में लोग यह सोचते और कहते है की यह ट्री सिर्फ 6 हफ़्तों में इतना बड़ा हुआ है, लेकिन कोई यह नही देखता की इसके पीछे 5 साल की मेहनत है उन लोगो की जिन्होंने इस ट्री को 5 साल तक लगातार पूरे अनुशासन और समर्पण से पानी और मिट्टी दीया है, अगर ये लोग ये काम करते हुए ये सोचते की रोज़ हम इस ट्री को बड़ा करने के लिए मेहनत कर रहे है लेकिन इसका कोई परिणाम नही मिल रहा और और अपना काम छोड़ देते तो क्या हमे ये खूबसूरत ट्री कभी देखने को मिलता? नही! ये बेचारा तो ज़मीन में ही मर जाता । ऐसा ही हमारे ज़िन्दगी में भी होता है हम अगर किसी चीज़ की शुरवात करे और उसपर पूरे अनुशासन और समर्पण से मेहनत करे तो हमे हमारी मंज़िल मिल ही जाती है लेकिन बीच में ही वो काम छोड़ दिया जाए तो मंज़िल मिलना नामुमकिन है, और ये समय की बर्बादी भी है लेकिन कुछ लोग इस चीज़ का दोष भी किस्मत को दे देते है। हमे सिर्फ ये सोचना चाइये की हम जो भी काम कर रहे हो वो पूरी ईमानदारी से हो और पूरे अनुशासन से हो क्योंकि कोई भी काम का result तुरंत नही मिलता, आपको भरोसा रखना पड़ेगा, सबर रखना पड़ेगा ,काबिलियत रखनी पड़ेगी क्योंकि , " अनुशासन आपको शायद मनोरंजन न दे , लेकिन हर बार मुनाफा और तरक़्क़ी ज़रूर देगा। " सब कहते है की उनकी तरक्की हो लेकिन कोई कीमत नही चुकाना चहाता, इसीलिए बहाना देना बंद कीजिये और क़ीमत चुकाने के लिए तैयार रहिये। आपका दिमाग ही आपकी सबसे बड़ी ताकत है इसका इस्तेमाल कीजिये और खुदपर भरोसा रखिये,क्योंकि कही ऐसा न हो जाए की आपसे कम काबिलियत वाला इंसान सिर्फ ये 2 चीज़ों का इस्तेमाल करके आपसे आगे निकल जाए और आप बस ज़िन्दगी भर पछताते रह जाओ।

chinees bamboo tree


                                                                      धन्यवाद..........!
                                                     
अनुशाषित और समर्पित सफल व्यक्ति :
1) अक्षय कुमार
2) अमीर खान
3) अब्दुल कलाम
4) शारुख खान
5) महेंद्रसिंह धोनी

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